स्पैरो को हिंदी में क्या कहते हैं - spairo ko hindee mein kya kahate hain

स्पैरो को हिंदी में क्या कहते हैं - spairo ko hindee mein kya kahate hain

घरेलू गौरैया
House sparrow
स्पैरो को हिंदी में क्या कहते हैं - spairo ko hindee mein kya kahate hain
जर्मनी में नर
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इंगलैण्ड में मादा

संरक्षण स्थिति

स्पैरो को हिंदी में क्या कहते हैं - spairo ko hindee mein kya kahate hain

संकटमुक्त जाति (IUCN 3.1)[1]

वैज्ञानिक वर्गीकरण
जगत: जंतु
संघ: रज्जुकी (Chordata)
वर्ग: पक्षी (Aves)
गण: पासरीफ़ोर्मीज़ (Passeriformes)
कुल: पैसरिडाए (Passeridae)
वंश: पैसर (Passer)
जाति: पी. डोमेस्टिकस (P. domesticus)
द्विपद नाम
Passer domesticus
लीनियस, 1758
स्पैरो को हिंदी में क्या कहते हैं - spairo ko hindee mein kya kahate hain
मूल निवास गहरे हरे में, तथा रोपित निवास हलके हरे रंग में दर्शित

घरेलू गौरैया (House sparrow) गौरैया पक्षियों के पैसर वंश की एक जीववैज्ञानिक जाति है, जो विश्व के अधिकांश भागों में पाई जाती है। आरम्भ में यह एशिया, यूरोप और भूमध्य सागर के तटवर्ती क्षेत्रों में पाई जाती थी लेकिन मानवों ने इसे विश्वभर में फैला दिया है। यह मानवों के समीप कई स्थानों में रहती हैं और नगर-बस्तियों में आम होती हैं।[2][3][4]

विवरण[संपादित करें]

शहरी इलाकों में गौरैया की छह तरह ही प्रजातियां पाई जाती हैं। ये हैं हाउस स्पैरो, स्पेनिश स्पैरो, सिंड स्पैरो, रसेट स्पैरो, डेड सी स्पैरो और ट्री स्पैरो। इनमें हाउस स्पैरो को गौरैया कहा जाता है। यह गाँव में ज्यादा पाई जाती हैं। आज यह विश्व में सबसे अधिक पाए जाने वाले पक्षियों में से है। लोग जहाँ भी घर बनाते हैं देर सबेर गौरैया के जोड़े वहाँ रहने पहुँच ही जाते हैं।

गोरैया एक छोटी चिड़िया है। यह हल्की भूरे रंग या सफेद रंग में होती है। इसके शरीर पर छोटे-छोटे पंख और पीली चोंच व पैरों का रंग पीला होता है। नर गोरैया का पहचान उसके गले के पास काले धब्बे से होता है। १४ से १६ से.मी. लंबी यह चिड़िया मनुष्य के बनाए हुए घरों के आसपास रहना पसंद करती है। यह लगभग हर तरह की जलवायु पसंद करती है पर पहाड़ी स्थानों में यह कम दिखाई देती है। शहरों, कस्बों,गाँवों, और खेतों के आसपास यह बहुतयात से पाई जाती है। नर गौरैया के सिर का ऊपरी भाग, नीचे का भाग और गालों पर पर भूरे रंग का होता है। गला चोंच और आँखों पर काला रंग होता है और पैर भूरे होते है। मादा के सिर और गले पर भूरा रंग नहीं होता है। नर गौरैया को चिड़ा और मादा चिड़ी या चिड़िया भी कहते हैं। (20 मार्च को 'विश्व गौरैया दिवस' मनाया गया।)

कम होती संख्या[संपादित करें]

पिछले कुछ सालों में शहरों में गौरैया की कम होती संख्या पर चिन्ता प्रकट की जा रही है। आधुनिक स्थापत्य की बहुमंजिली इमारतों में गौरैया को रहने के लिए पुराने घरों की तरह जगह नहीं मिल पाती। सुपरमार्केट संस्कृति के कारण पुरानी पंसारी की दूकानें घट रही हैं। इससे गौरेया को दाना नहीं मिल पाता है। इसके अतिरिक्त मोबाइल टावरों से निकले वाली तंरगों को भी गौरैयों के लिए हानिकारक माना जा रहा है। ये तंरगें चिड़िया की दिशा खोजने वाली प्रणाली को प्रभावित कर रही है और इनके प्रजनन पर भी विपरीत असर पड़ रहा है जिसके परिणाम स्वरूप गौरैया तेजी से विलुप्त हो रही है। गौरैया को घास के बीज काफी पसंद होते हैं जो शहर की अपेक्षा ग्रामीण क्षेत्रों में आसानी से मिल जाते हैं। ज्यादा तापमान गौरेया सहन नहीं कर सकती। प्रदूषण और विकिरण से शहरों का तापमान बढ़ रहा है। कबूतर को धार्मिक कारणों से ज्यादा महत्त्व दिया जाता है। चुग्गे वाली जगह कबूतर ज्यादा होते हैं। पर गौरैया के लिए इस प्रकार के इंतज़ाम नहीं हैं। खाना और घोंसले की तलाश में गौरेया शहर से दूर निकल जाती हैं और अपना नया आशियाना तलाश लेती हैं। गौरैया के बचाने की कवायद में दिल्ली सरकार ने गौरैया को राजपक्षी घोषित किया है।[5] इनकी घटती संख्या का एक महत्वपूर्ण कारण यह भी है कि जंगल बहुत कम होता जा रहा है। अतः मांसाहारी पक्षियों ने शहरों गावों जहां जहां भी गौरैया चिड़ियाऐ हजारों लाखों की संख्या में निवास करती है वहा अपना धावा बोल दिया है अक्सर हमारे घरो छतों गली मोहल्लों में छोटे बाज बैठे हुऐ दिखाई देते हैं। जो की बहुत ही सटीकता से इनका शिकार कर रहे है। गौरेया चिड़ियाऐ का सामना इन शिकारी पक्षियों से पूर्व मे नही हुआ है। साथ ही उनमे आत्म रक्षार्थ हेतु परोक्ष अपरोक्ष रूप से कुछ भी नहीं है।[कृपया उद्धरण जोड़ें] आज शहरो मे लुप्त प्राय होती जा रही है।

चित्रदीर्घा[संपादित करें]

नर गौरैया[संपादित करें]

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    नर गौरैया कोटर में झाँकते हुए।

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    नर

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    नर

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    नर

मादा गौरैया[संपादित करें]

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    मादा अपने क्षेत्र की रक्षा में।

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    मादा

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    मादा पेड़ के कोटर में।

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    मादा बच्चों को चुगाते हुए।

इन्हें भी देखें[संपादित करें]

  • जंगली गौरैया
  • पैसर
  • पूर्वजगत गौरैया
  • पक्षी

सन्दर्भ[संपादित करें]

  1. BirdLife International (2019). "Passer domesticus": e.T103818789A155522130.
  2. Christidis, L.; Boles, W. E. (2008). Systematics and Taxonomy of Australian Birds. Canberra: CSIRO Publishing. ISBN 978-0-643-06511-6.
  3. Houlihan, Patrick E.; Goodman, Steven M. (1986). The Natural History of Egypt, Volume I: The Birds of Ancient Egypt. Warminster: Aris & Philips. ISBN 978-0-85668-283-4.
  4. Summers-Smith, J. Denis (1963). The House Sparrow. New Naturalist (1st. ed.). London: Collins.
  5. "कहाँ गई आंगन की गौरैया" (एचटीएमएल). भास्कर. मूल से 18 जनवरी 2008 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 30 June 2008.

स्पैरो को हिंदी में क्या कहा जाता है?

घरेलू गौरैया (House sparrow) गौरैया पक्षियों के पैसर वंश की एक जीववैज्ञानिक जाति है, जो विश्व के अधिकांश भागों में पाई जाती है।

स्पैरो का स्पेलिंग क्या होता है?

गौरैया (noun): A sparrow is small brown colourd bird.

परिजन का मतलब क्या होता है?

कबूतर: कबूतर- संज्ञा पुलिंग [फ़ारसी तुलनीय संस्कृत कपोत] [स्त्रीलिंग कबूतरी] एक पक्षी ।