संप्रेषण कौशल से आप क्या समझते हैं? - sampreshan kaushal se aap kya samajhate hain?

सम्प्रेषण कौशल Communication Skill को समझने से पूर्व सम्प्रेषण के शाब्दिक अर्थ को समझना अनिवार्य हैं। सम्प्रेषण जिसे अंग्रेजी भाषा मे Communication कहा जाता है। जिसका हिंदी अनुवाद है- परस्पर विचारों का आदान-प्रदान करना अर्थात अपने विचार अन्य किसी व्यक्ति तक पहुचाने को सम्प्रेषण Communication कहा जाता हैं।

सम्प्रेषण कौशल विचारों का आदान-प्रदान करने एवं अपने विचार अन्य व्यक्ति तक उत्तम तरीके से पहुचाने की कला हैं। जिसके माध्यम से अन्य व्यक्तियों को प्रभावित किया जा सकता हैं। सम्प्रेषण वह कला एवं कौशल है जिसकी सहायता से हम अपने विचार अन्य व्यक्तियों तक पहुचाते हैं।

सम्प्रेषण कौशल (Communication Skill) एक प्रभावकारी प्रक्रिया है जो व्यक्ति के व्यक्तित्व के निर्माण की प्रक्रिया में साधन का कार्य करती है। यह व्यक्ति की विचारधारा,व्यक्तित्व एवं उसके गुणों को दर्शाने का कार्य करती हैं।

सम्प्रेषण कौशल की परिभाषा|Definition of Communication Skill

संप्रेषण कौशल से आप क्या समझते हैं? - sampreshan kaushal se aap kya samajhate hain?

एडगर डेल के अनुसार -“सम्प्रेषण का अर्थ है,परस्पर सूचनाओं एवं विचारों का आदान-प्रदान।”

हॉलेंड के अनुसार -“सम्प्रेषण वह शक्ति है जिसके द्वारा कोई व्यक्ति विशेष सम्प्रेषण, उद्दीपकों को इस प्रकार प्रेषित करता है कि वह दूसरे व्यक्तियों के व्यवहार को भी परिमार्जित कर देता है।”

वारेन एवं वेवर के अनुसार -“वह क्रिया विधियां जिनके द्वारा एक मस्तिष्क दूसरे मस्तिष्क को प्रभावित करता हैं।”

हार्टमैन के अनुसार -“सम्प्रेषण एक प्रकार का नियंत्रित व्यवहार है, जो वर्णनात्मक एवं पुनर्बलन,उद्दीपकों के द्वारा संपादित होता हैं।”

स्टीवेन्स के अनुसार -“सम्प्रेषण व्यक्ति का वह विभेदक अनुक्रिया है जो वह किसी उद्दीपक के प्रति करता हैं।”

सम्प्रेषण कौशल की विशेषता|Characteristics of Communication Skill

1. सम्प्रेषण कौशल व्यक्ति के व्यक्तित्व में वृद्धि का कार्य करता है एवं परिपक्वता लाने का कार्य करता हैं।

2. इसके द्वारा अन्य व्यक्तियों के विचारों,व्यवहारों एवं व्यक्तित्व में परिवर्तन लाया जा सकता है।

3. सम्प्रेषण कौशल में भाषाओं की शुद्धता एवं क्रमबद्धता होना अनिवार्य है। इसके अभाव में उचित सम्प्रेषण करना उचित नही हैं।

4. सम्प्रेषण कौशल का विकास निरंतर अभ्यास से किया जा सकता है एवं सम्प्रेषण कला में स्थिरता लाई जा सकती है।

5. इसके अंतर्गत ज्ञानेंद्रियों तथा कर्मेन्द्रियों में उचित संतुलन रखा जाता हैं। जिससे Communication को प्रभावशाली बनाया जा सकें।

सम्प्रेषण कौशल की उपयोगिता|Importance of Communication Skill

सम्प्रेषण कैशल उन्नति के मार्ग में पहुचने का एक साधन हैं। यह व्यक्ति के व्यक्तित्व को इतना प्रभावशाली बना देता है कि उससे मिलने वाला प्रत्येक व्यक्ति उसके विचारों से प्रभावित होने लगता है एवं उसका अनुकरण करने लगता है। यह व्यक्ति को विशवास करने योग्य बनाता हैं।

यह व्यक्ति को समाज के साथ समायोजन करने हेतु उसकी सहायता करता है एवं समाज के कार्यो का नेतृत्व करने में उसकी सहायता करता है। जो व्यक्ति सम्प्रेषण के कौशल में निपुर्ण होते है ऐसे व्यक्तियों को प्रत्येक जगह महत्वपूर्ण स्थान दिया जाता है एवं इनके विचारों को प्राथमिकता दी जाती हैं।

सम्प्रेषण कौशल का विकास कैसे करें?

इस कौशल में वृद्धि हेतु सदैव जितना हो सके उतना अभ्यास करना चाहिए, क्योंकि आप सभी जानते है अभ्यास सदैव ही व्यक्ति के कौशलों का विकास करने और उसको क्रिया में लाने का कार्य करता हैं। इस कौशल के विकास हेतु अपने विचारों में सटीकता व गंभीरता होना अत्यंत आवश्यक हैं। इसके विकास हेतु यह आवश्यक है कि व्यक्ति आत्मविश्वासी हो एवं उसको अपने ज्ञान में पूर्ण विश्वास हो।

इस कौशल के विकास हेतु दूसरों की बातों को ध्यान से सुनने की आवश्यकता पड़ती है,क्योंकि एक अच्छा सम्प्रेषण कर्ता वहीं हो सकता है जो अन्य के विचारों को गंभीरता से सुनें एवं उसमें विचार विमर्श कर अपने विचारों को प्रकट कर। सम्प्रेषण कौशल के विकास हेतु एक अच्छा दार्शनिक होना अत्यंत आवश्यक हैं।

निष्कर्ष|Conclusion

वर्तमान समय में अपनी एक प्रभावशाली पहचान बनाने हेतु यह आवश्यक है कि व्यक्ति को अपनी बात दुसरो तक उत्तम तरीके से पहुचाने की कला हो। यही वह तरीका है जिसके द्वारा व्यक्ति दूसरे के मस्तिष्क में अपनी स्मृति व्याप्त कर देता हैं।

तो दोस्तों आज आपने जाना कि सम्प्रेक्षण कौशल क्या हैं? (Communication Skill in Hindi) अगर आपको हमारी यह पोस्ट पसदं आयी हो तो इसे अपने अन्य मित्रो के साथ भी अवश्य शेयर करें।

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संप्रेषण कौशल से आप क्या समझते हैं? - sampreshan kaushal se aap kya samajhate hain?

सम्प्रेषण कौशल दो शब्दों से मिलकर बना है- (1) सम्प्रेषण, (2) कौशल

कौशल का अर्थ होता है ‘कुशलता से कार्य करने की योग्यता‘ (Ability to work with cleverness) जबकि सम्प्रेषण का अर्थ “सूचनाओं तथा भावनाओं का एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति को आदान-प्रदान करना होता है।” अतः सूचनाओं, तथ्यों तथा विचारों का कुशलता से आदान-प्रदान करना ही सम्प्रेषण कौशल कहलाता है। सम्प्रेषण करना मानव की प्रवृत्ति है। बिना सम्प्रेषण के कोई कार्य पूरा नहीं हो सकता।

सम्प्रेषण कौशल को प्रभावशाली कैसे बनायें?

सम्प्रेषण कौशल को प्रभावशाली बनाने के लिये तीन बिन्दुओं पर ध्यान देना आवश्यक है-

  1. सम्प्रेषण भाषा एवं माध्यमों का प्रयोग (Use of communication media and language),

  2. सम्प्रेषण में मनोवैज्ञानिक प्रयोग (Use of psychology) तथा

  3. इन्द्रियों का प्रयोग (Use of sense organs)।

शुद्ध उच्चारण, शुद्ध वाचन और शुद्ध तरीकों का सम्प्रेषण प्रक्रिया से घनिष्ठ सम्बन्ध है। यदि उच्चारण शुद्ध है तो वर्तनी भी शुद्ध होगी, जिससे सम्प्रेषण भी सार्थक और प्रभावी होगा। इस प्रकार सही और शुद्ध उच्चारण सम्प्रेषण की प्रभावशीलता के लिये नितान्त आवश्यक है।

इस प्रकार के सम्प्रेषण द्वारा एक-दूसरे के विचारों को अधिक अच्छी प्रकार से समझा जा सकता है। शिक्षकों को अशुद्ध उच्चारण से बचना चाहिये ताकि अच्छे सम्प्रेषण के लिये वह छात्रों को प्रेरित कर सके।

आज का विद्यार्थी कल का नागरिक है। नागरिक के रूप में उसे किसी क्षेत्र का नेतृत्व ग्रहण करना है। सफल नेतृत्व के लिये सम्प्रेषण की योग्यता आवश्यक होती है। इस योग्यता का विकास बचपन से ही वाद-विवाद अथवा भाषण के अभ्यास से किया जा सकता है। यह अभ्यास जितना शीघ्र प्रारम्भ किया जाता है उतना ही लाभप्रद होता है।

विद्यालयों में बाल सभाओं, गृहप्रणालियों और काउन्सिलों का आयोजन इसी दृष्टि से किया जाता है कि बालक बाल सभाओं में भाग लेकर बोलना सीखें और अपने विचारों को प्रकट करना सीख सकें।

वाद-विवाद प्रतियोगिताओं का भी प्रायोजन यह होता है छात्र किसी विषय के पक्ष और विपक्ष में बोलना सीखें। पक्ष और विपक्ष में विचार प्रकट करने से सम्प्रेषण की योग्यता विकसित होती है।

प्राथमिक विद्यालयों में वाद-विवाद प्रतियोगिता चौथी और पाँचवी कक्षा में और माध्यमिक विद्यालयों में कक्षा 6 से ही आयोजित की जा सकती है। पहले तो विषयवस्तु छात्रों को रटा दी जाती है। जब उनको रटी हुई सामग्री बोलने में कठिनाई होती है तो अध्यापक उनके पीछे से संकेत देता रहता है। बाद में बालक स्वयं किसी भी विषय पर बोलने की क्षमता पैदा कर लेते हैं।

भाषण देते वक्त वह निर्भीक होकर अपने विचार व्यक्त करता है, प्रारम्भ में वह ठिठकता है, झिझकता है और बोलते-बोलते रुक जाता है, लेकिन अभ्यास से धारा प्रवाह बोलने लगता है और प्रभावी सम्प्रेषण की योग्यता का स्वयं में विकास कर लेता है।

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संप्रेषण कौशल से क्या समझते हैं?

कौशल का अर्थ होता है 'कुशलता से कार्य करने की योग्यता' (Ability to work with cleverness) जबकि सम्प्रेषण का अर्थ “सूचनाओं तथा भावनाओं का एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति को आदान-प्रदान करना होता है।” अतः सूचनाओं, तथ्यों तथा विचारों का कुशलता से आदान-प्रदान करना ही सम्प्रेषण कौशल कहलाता है।

संप्रेषण से आप क्या समझते हैं?

संप्रेषण दो या दो से अधिक व्यक्तियों के बीच मौखिक, लिखित, सांकेतिक या प्रतिकात्मक माध्यम से विचार एवं सूचनाओं के प्रेषण की प्रक्रिया है। संप्रेषण हेतु सन्देश का होना आवश्यक है। संप्रेषण में पहला पक्ष प्रेषक (सन्देश भेजने वाला) तथा दूसरा पक्ष प्रेषणी (सन्देश प्राप्तकर्ता) होता है।

संप्रेषण कौशल से क्या अभिप्राय है इसकी मुख्य विशेषताओं का वर्णन कीजिए?

संप्रेषण की विशेषताएँ संप्रेषण का लक्ष्य सम्बन्धित पक्षकारों तक सूचनाओं को सही अर्थ में सम्प्रेषित करना होता है। संप्रेषण द्वारा विभिन्न सूचनाएँ प्रदान कर पक्षकारों के ज्ञान में अभिवृद्धि की जाती है। संप्रेषण का आधार व्यक्तिगत समझ और मनोदशा होती है। संप्रेषण में दो या अधिक अपने विचारों का आदान प्रदान करते हैं।

संप्रेषण कौशल कितने प्रकार के होते हैं?

संप्रेषण के प्रकार.
मौखिक संप्रेषण.
लिखित संप्रेषण.
औपचारिक संप्रेषण.
अनौपचारिक संप्रेषण.
अधोमुखी संप्रेषण.
ऊर्ध्वमुखी संप्रेषण.
क्षैतिज संप्रेषण.