सूर्य भगवान को मीठा जल चढ़ाने से क्या होता है? - soory bhagavaan ko meetha jal chadhaane se kya hota hai?

2 हर दिन चढ़ाए जल
सुबह-सुबह हर दिन सूर्य को जल देने के कई फायदे हैं। इससे व्यक्ति की आंखें स्वस्थ्य रहती हैं। इसलिए जल देते समय व्यक्ति को जल पात्र सिर के सामने रखना चाहिए और गिरते जल को देखना चाहिए। इससे नेत्र दोष दूर होता है। जिनकी जन्मपत्री में सूर्य लग्न से 12वें या दूसरे घर में होता है उन्हें नेत्र रोग की आशंका रहती है ऐसे में उनके लिए यह उपाय बहुत ही लाभप्रद होता है। गोचर में भी सूर्य के इन स्थानों से गुजरने के दौरान यह उपाय लाभकारी रहता है।

3 नौकरी में होता है लाभ
सूर्य देव को जल चढ़ाने से हर इंसान की नौकरी में उन्नति और लाभ होता है। इससे आपके आत्मविश्वास बना रहेगा जिससे अधिकारीगण आपसे खुश रहते हैं। इसके लिए सूर्य को जल देना बहुत ही लाभप्रद होता है। इसकी वजह यह है कि ज्योतिषशास्त्र में सूर्य को राजा, राजकीय क्षेत्र, पिता और नौकरी में अधिकारी का कारक माना गया है। सूर्य को जल देने से सूर्य का पिता और नौकरी में अधिकारी का कारक माना गया है। सूर्य को जल देने से अनुकूल फल प्राप्त होता है और इन सभी मामलों में शुभ फलों की प्राप्ति होती है।

4 हृदय रोग की आशंका कम होती है
सूर्य का संबंध हृदय से भी है। क्योंकि ये दोनों एक ही स्वामी के होते हैं। इसलिए हृदय को स्वस्थ्य रखने के लिए सूर्य को जल देना बहुत ही शुभ फलदायी माना गया है। सूर्य को नियमित जल देने के साथ आदित्य हृदय स्तोत्र का पाठ किया जाए तो सूर्य अनुकूल बने रहते हैं जिससे हृदय पर अच्छा प्रभाव पड़ता है। हृदय रोग की आशंका कम होती है।

5 पिता से है सूर्य का संबंध
ज्योतिषशास्त्र में सूर्य का संबंध पिता से बताया गया है। जन्मपत्री में सूर्य की अनुकूलता से पैतृक संपत्ति से सुख की प्राप्ति होती है। अगर पैतृक संपत्ति को लेकर कोई विवाद चल रहा है तो पिता से तालमेल नहीं बैठ रहा। सूर्य को उगते ही नियमित जल चढ़ाकर अर्घ्य देने से निश्चित ही लाभ प्राप्त होगा।

6 नौकरी में मिलेगा लाभ
अगर आप सरकारी नौकरी की तलाश में हैं तो नियमित रूप से सूर्य को जल चढ़ाना चाहिए। इससे सूर्य बलवान होेता है और सूर्य के बली होने पर सरकारी क्षेत्र से लाभ प्राप्ति का योग प्रबल होता है। इसलिए अपने प्रयास के साथ सूर्य की उपासना करते रहना चाहिए।

7 त्वचा रोग से मिलती है निजात
त्वचा संबंधी रोग से बचाव के लिए भी सूर्योपासना बड़ा महत्व है। स्वयं भगवान श्री कृष्ण ने अपने पुत्र साम्ब को कुष्ठ रोग होने पर सूर्य की उपासना करने की सलाह दी थी।

भगवान सूर्य के उदय होते ही संपूर्ण जगत का अंधकार नष्ट हो जाता है और चारों ओर प्रकाश ही प्रकाश फैल जाता है। सृष्टि के महत्वपूर्ण आधार सूर्य देवता हैं। वैदिक काल से सूर्योपासना अनवरत चली आ रही है। नियमित सूर्य को अर्घ्य देने से हमारी नेतृत्व क्षमता में वृद्धि होती है। बल, तेज, पराक्रम, यश एवं उत्साह बढ़ता है। सूर्य की किरणों को आत्मसात करने से शरीर और मन स्फूर्तिवान होता है। यहां पाठकों के लिए प्रस्तुत हैं सूर्य को जल/अर्घ्य देने की खास बातें...

सूर्य देवता को अर्घ्य देने की आसान विधि : 

1. सर्वप्रथम प्रात:काल सूर्योदय से पूर्व शुद्ध होकर स्नान करें। 

2. तत्पश्चात उदित होते सूर्य के समक्ष कुश का आसन लगाएं। 

3. आसन पर खड़े होकर तांबे के पात्र में पवित्र जल लें। 

4. उसी जल में मिश्री भी मिलाएं। कहा जाता है कि सूर्य को मीठा जल चढ़ाने से जन्मकुंडली के दूषित मंगल का उपचार होता है।

5. मंगल शुभ हो तब उसकी शुभता में वृद्दि होती है। 

6. जैसे ही पूर्व दिशा में सूर्यागमन से पहले नारंगी किरणें प्रस्फूटित होती दिखाई दें, आप दोनों हाथों से तांबे के पात्र को पकड़ कर इस तरह जल चढ़ाएं  कि सूर्य जल चढ़ाती धार से दिखाई दें।

7. प्रात:काल का सूर्य कोमल होता है उसे सीधे देखने से आंखों की ज्योति बढ़ती है। 

8. सूर्य को जल धीमे-धीमे इस तरह चढ़ाएं कि जलधारा आसन पर आ गिरे ना कि जमीन पर। 

9. जमीन पर जलधारा गिरने से जल में समाहित सूर्य-ऊर्जा धरती में चली जाएगी और सूर्य अर्घ्य का संपूर्ण लाभ आप नहीं पा सकेंगे। 

10. अर्घ्य देते समय निम्न मंत्र का पाठ करें -

'ॐ ऐहि सूर्य सहस्त्रांशों तेजोराशे जगत्पते। 

अनुकंपये माम भक्त्या गृहणार्घ्यं दिवाकर:।।' (11 बार) 

11. ' ॐ ह्रीं ह्रीं सूर्याय, सहस्त्रकिरणाय। 

मनोवांछित फलं देहि देहि स्वाहा: ।।' (3 बार) 

12. तत्पश्चात सीधे हाथ की अंजूरी में जल लेकर अपने चारों ओर छिड़कें। 

13. अपने स्थान पर ही तीन बार घुम कर परिक्रमा करें। 

14. आसन उठाकर उस स्थान को नमन करें।

इस तरह से देंगे सूर्य को अर्घ्य, तो बनेंगे सारे बिगड़े काम

ज्योतिष डेस्क, अमर उजाला Published by: Shashi Shashi Updated Wed, 10 Mar 2021 10:34 AM IST

सनातन धर्म में पंचदेवों में से सूर्य देव भी माने गए हैं। ज्योतिष में भी सूर्य का बहुत महत्व माना गया है, ज्योतिष के अनुसार सूर्य को ग्रहों का राजा माना जाता है। यह मनुष्य के जीवन में मान-सम्मान, पिता-पुत्र और सफलता का कारक माना गया है। ज्योतिष के अनुसार सूर्य हर माह एक राशि से दूसरी राशि में प्रवेश करते हैं। इस तरह से बारह राशियों में सूर्य एक वर्ष में अपना चक्र पूर्ण करते हैं। सूर्य को आरोग्य दाता माना गया है। सूर्य के प्रकाश से ही पृथ्वी पर जीवन संभव है। सूर्य को प्रतिदिन जल देने से जातक को आध्यात्मिक लाभ तो प्राप्त होते हैं साथ ही स्वास्थ्य लाभ भी प्राप्त होते हैं। भगवान सूर्य नारायण की कृपा पाने और कुंडली में सूर्य की अनुकूलता बनाएं रखने के लिए प्रतिदिन सूर्य को अर्घ्य देना चाहिए। इससे आपको समाज में मान-सम्मान और प्राशसनिक आधिकारियों का सहयोग प्राप्त होता है। आप अपने जीवन में सफलता प्राप्त करते हैं, लेकिन सूर्य को जल देते समय कुछ बातों को ध्यान में रखना आवश्यक होता है। इन बातों को ध्यान में रखकर यदि सूर्य को जल अर्पित करते हैं तो आपके जीवन की बाधाएं दूर होती हैं और सभी बिगड़े काम भी बनने लगते हैं।

केवल जल अर्पित न करें
अधिकतर लोग पूजा करने के  बाद केवल लोटे में जल लेकर सूर्य देव को अर्पित करते हैं, लेकिन ऐसा नहीं करना चाहिए। तांबे के लोटे में जल लेकर उसमें रोली, चंदन और लाल रंग के पुष्प डालकर सूर्य को जल देना चाहिए। इसके साथ ही उन्हें चावल अर्पित करना चाहिए और गुड़ या फिर कुछ मीठा अवश्य चढ़ाना चाहिए। इससे आपको सूर्य देव की कृपा प्राप्त होती है।

जल चढ़ाते समय इस बात का रखें ध्यान
जब आप सूर्य को जल दे रहे हो तो ध्यान रखें की जल सीधे आपके पैरों पर नहीं गिरना चाहिए। जल चढ़ाते समय अपने दोनों हाथों को ऊपर उठाकर जल अर्पित करें ताकि सूर्य की किरण आपके शरीर पर पड़े और जल गिरते समय आपके पैरों को न छुए। माना जाता है कि यदि जल चढ़ाते समय आपके पैरों पर गिरता है तो सूर्य देव का आशीर्वाद प्राप्त नहीं होता है।

इस समय चढ़ाएं जल
सूर्य को जल चढ़ाने का सबसे उत्तम समय तब होता है, जब सूर्य उदय हो रहा हो। उगते हुए सूर्य को जल देना बहुत ही शुभ रहता है। सूर्य को जल प्रतिदिन देना चाहिए। इससे आपके जीवन की समस्याएं तो दूर होती ही हैं आपका स्वास्थ्य भी अच्छा रहता है। यदि आप प्रतिदिन जल अर्पित नहीं कर सकते हैं तो रविवार के दिन जल अवश्य अर्पित करें।
 

दिशा का अवश्य रखें ध्यान
सूर्य पूर्व दिशा से उदय होता है, इसलिए सूर्य को जल देते समय अपना मुख सदैव पूर्व दिशा की ओर रखें। कई बार बादल आने के कारण आसमान साफ नहीं होता है, जिससे सूर्य दिखाई नहीं देता है, इस स्थिति में भी पूर्व दिशा की ओर मुख करके ही जल अर्पित करें।

सूर्य को मीठा जल चढ़ाने से क्या होता है?

सूर्य को अर्घ्य देने के लाभ सूर्य को जल चढ़ाने के साथ ''ऊँ नमो भगवते श्री सूर्याय क्षी तेजसे नम: ऊँ खेचराय नम:'' मंत्र का जाप करने से बल, बुद्धि, विद्या और दिव्यता प्राप्त होगी। इसके अलावा रोजाना सूर्य को जल चढ़ाने से सूर्य देव का प्रभाव शरीर में भी बढ़ता है। इससे आप में ऊर्जा की वृर्द्धि होती है।

सूर्य को जल कब नहीं चढ़ाना चाहिए?

जब सूर्य की रौशनी तेज हो या चुभने लगे तब जल देने से कोई लाभ नहीं होता है. सूर्य को जल देने के बाद ऊं आदित्य नम: मंत्र या ऊं घृणि सूर्याय नमः मंत्र का जाप करने से विशेष लाभ होता है. पंडित शैलेंद्र पांडेय के अनुसार, बिना स्नान किए सूर्य को कभी अर्घ्य नहीं देना चाहिए.

सूर्य देव को सुबह कितने बजे जल देना चाहिए?

6- इसके साथ सूर्य को जल हमेशा सुबह के समय देना फलदायी माना जाता है. अगर आपको सूर्य के दर्शन नहीं हो रहे हों तो जहां आप वो वहीं उनका नाम लेकर जल को अर्पित कर दें. इस दौरान आप ऊं आदित्य नम: मंत्र या ऊं घृणि सूर्याय नमः मंत्र का जाप भी करें.

सूर्य को अर्घ्य देते समय जल में क्या डालना चाहिए?

भविष्य पुराण के अनुसार रोज सुबह स्नान के बाद भगवान सूर्य को जल अर्पित करना चाहिए। इसके लिए तांबे के लोटे में जल भरें, इसमें चावल, फूल डालकर सूर्य को अर्घ्य अर्पित करना चाहिएजल अर्पित करते समय सूर्य मंत्र का जाप करें। इस जाप के साथ शक्ति, बुद्धि, स्वास्थ्य और सम्मान की कामना करना चाहिए