2 हर दिन चढ़ाए जल Show 3 नौकरी में होता है लाभ 4 हृदय रोग की आशंका कम होती है 5 पिता से है सूर्य का संबंध 6 नौकरी में मिलेगा लाभ 7 त्वचा रोग से मिलती है निजात भगवान सूर्य के उदय होते ही संपूर्ण जगत का अंधकार नष्ट हो जाता है और चारों ओर प्रकाश ही प्रकाश फैल जाता है। सृष्टि के महत्वपूर्ण आधार सूर्य देवता हैं। वैदिक काल से सूर्योपासना अनवरत चली आ रही है। नियमित सूर्य को अर्घ्य देने से हमारी नेतृत्व क्षमता में वृद्धि होती है। बल, तेज, पराक्रम, यश एवं उत्साह बढ़ता है। सूर्य की किरणों को आत्मसात करने से शरीर और मन स्फूर्तिवान होता है। यहां पाठकों के लिए प्रस्तुत हैं सूर्य को जल/अर्घ्य देने की खास बातें... सूर्य देवता को अर्घ्य देने की आसान विधि : 1. सर्वप्रथम प्रात:काल सूर्योदय से पूर्व शुद्ध होकर स्नान करें। 2. तत्पश्चात उदित होते सूर्य के समक्ष कुश का आसन लगाएं। 3. आसन पर खड़े होकर तांबे के पात्र में पवित्र जल लें। 4. उसी जल में मिश्री भी मिलाएं। कहा जाता है कि सूर्य को मीठा जल चढ़ाने से जन्मकुंडली के दूषित मंगल का उपचार होता है। 5. मंगल शुभ हो तब उसकी शुभता में वृद्दि होती है। 6. जैसे ही पूर्व दिशा में सूर्यागमन से पहले नारंगी किरणें प्रस्फूटित होती दिखाई दें, आप दोनों हाथों से तांबे के पात्र को पकड़ कर इस तरह जल चढ़ाएं कि सूर्य जल चढ़ाती धार से दिखाई दें। 7. प्रात:काल का सूर्य कोमल होता है उसे सीधे देखने से आंखों की ज्योति बढ़ती है। 8. सूर्य को जल धीमे-धीमे इस तरह चढ़ाएं कि जलधारा आसन पर आ गिरे ना कि जमीन पर। 9. जमीन पर जलधारा गिरने से जल में समाहित सूर्य-ऊर्जा धरती में चली जाएगी और सूर्य अर्घ्य का संपूर्ण लाभ आप नहीं पा सकेंगे। 10. अर्घ्य देते समय निम्न मंत्र का पाठ करें - 'ॐ ऐहि सूर्य सहस्त्रांशों तेजोराशे जगत्पते। अनुकंपये माम भक्त्या गृहणार्घ्यं दिवाकर:।।' (11 बार) 11. ' ॐ ह्रीं ह्रीं सूर्याय, सहस्त्रकिरणाय। मनोवांछित फलं देहि देहि स्वाहा: ।।' (3 बार) 12. तत्पश्चात सीधे हाथ की अंजूरी में जल लेकर अपने चारों ओर छिड़कें। 13. अपने स्थान पर ही तीन बार घुम कर परिक्रमा करें। 14. आसन उठाकर उस स्थान को नमन करें। इस तरह से देंगे सूर्य को अर्घ्य, तो बनेंगे सारे बिगड़े कामज्योतिष डेस्क, अमर उजाला Published by: Shashi Shashi Updated Wed, 10 Mar 2021 10:34 AM IST सनातन धर्म में पंचदेवों में से सूर्य देव भी माने गए हैं। ज्योतिष में भी सूर्य का बहुत महत्व माना गया है, ज्योतिष के अनुसार सूर्य को ग्रहों का राजा माना जाता है। यह मनुष्य के जीवन में मान-सम्मान, पिता-पुत्र और सफलता का कारक माना गया है। ज्योतिष के अनुसार सूर्य हर माह एक राशि से दूसरी राशि में प्रवेश करते हैं। इस तरह से बारह राशियों में सूर्य एक वर्ष में अपना चक्र पूर्ण करते हैं। सूर्य को आरोग्य दाता माना गया है। सूर्य के प्रकाश से ही पृथ्वी पर जीवन संभव है। सूर्य को प्रतिदिन जल देने से जातक को आध्यात्मिक लाभ तो प्राप्त होते हैं साथ ही स्वास्थ्य लाभ भी प्राप्त होते हैं। भगवान सूर्य नारायण की कृपा पाने और कुंडली में सूर्य की अनुकूलता बनाएं रखने के लिए प्रतिदिन सूर्य को अर्घ्य देना चाहिए। इससे आपको समाज में मान-सम्मान और प्राशसनिक आधिकारियों का सहयोग प्राप्त होता है। आप अपने जीवन में सफलता प्राप्त करते हैं, लेकिन सूर्य को जल देते समय कुछ बातों को ध्यान में रखना आवश्यक होता है। इन बातों को ध्यान में रखकर यदि सूर्य को जल अर्पित करते हैं तो आपके जीवन की बाधाएं दूर होती हैं और सभी बिगड़े काम भी बनने लगते हैं। केवल जल अर्पित न करें जल चढ़ाते समय इस बात का रखें ध्यान इस समय चढ़ाएं जल दिशा का अवश्य रखें
ध्यान सूर्य को मीठा जल चढ़ाने से क्या होता है?सूर्य को अर्घ्य देने के लाभ
सूर्य को जल चढ़ाने के साथ ''ऊँ नमो भगवते श्री सूर्याय क्षी तेजसे नम: ऊँ खेचराय नम:'' मंत्र का जाप करने से बल, बुद्धि, विद्या और दिव्यता प्राप्त होगी। इसके अलावा रोजाना सूर्य को जल चढ़ाने से सूर्य देव का प्रभाव शरीर में भी बढ़ता है। इससे आप में ऊर्जा की वृर्द्धि होती है।
सूर्य को जल कब नहीं चढ़ाना चाहिए?जब सूर्य की रौशनी तेज हो या चुभने लगे तब जल देने से कोई लाभ नहीं होता है. सूर्य को जल देने के बाद ऊं आदित्य नम: मंत्र या ऊं घृणि सूर्याय नमः मंत्र का जाप करने से विशेष लाभ होता है. पंडित शैलेंद्र पांडेय के अनुसार, बिना स्नान किए सूर्य को कभी अर्घ्य नहीं देना चाहिए.
सूर्य देव को सुबह कितने बजे जल देना चाहिए?6- इसके साथ सूर्य को जल हमेशा सुबह के समय देना फलदायी माना जाता है. अगर आपको सूर्य के दर्शन नहीं हो रहे हों तो जहां आप वो वहीं उनका नाम लेकर जल को अर्पित कर दें. इस दौरान आप ऊं आदित्य नम: मंत्र या ऊं घृणि सूर्याय नमः मंत्र का जाप भी करें.
सूर्य को अर्घ्य देते समय जल में क्या डालना चाहिए?भविष्य पुराण के अनुसार रोज सुबह स्नान के बाद भगवान सूर्य को जल अर्पित करना चाहिए। इसके लिए तांबे के लोटे में जल भरें, इसमें चावल, फूल डालकर सूर्य को अर्घ्य अर्पित करना चाहिए। जल अर्पित करते समय सूर्य मंत्र का जाप करें। इस जाप के साथ शक्ति, बुद्धि, स्वास्थ्य और सम्मान की कामना करना चाहिए।
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