शनिवार के दिन पीपल पर जल कैसे चढ़ाएं? - shanivaar ke din peepal par jal kaise chadhaen?

Peepal tree worship on Saturday: हिंदू धर्म में पीपल के पेड़ का विशेष महत्‍व है। श्रीमद्भगवदगीता के अनुसार पीपल के मूल में ब्रह्मा जी, मध्य में विष्णु जी व अग्र भाग में भगवान शिव जी साक्षात रूप से विराजित हैं। यही वजह है कि पीपल पर रोजाना स्‍नान के बाद जल अर्पण करने से तकलीफों से छुटकारा मिलता है। शनिवार के दिन पीपल के पेड़ की पूजा विशेष फलदायी होती है, इसलिए कुछ खास उपाय करने एवं जल चढ़ाते समय कुछ बातों का ध्‍यान रखने से आपकी सारी दिक्‍कतें दूर हो सकती है। इससे पैसों को लेकर आपकी चिंता भी दूर होगी। 

  1. मान्यताओं के अनुसार शनिवार के दिन स्‍नान के बाद पीपल के पेड़ में एक कलश जल अर्पित करने से मन को शांति मिलती है। इसके अलावा पीपल के पेड़ की प्रक्रिमा करने से भी लाभ होता है। माना जाता है कि इससे ईश्‍वर आपकी सारी मनोकामनाएं पूरी करते हैं। 
  2. शनिवार के दिन पीपल के पेड़ के नीचे सरसों के तेल का दीपक जलाने से शनिदेव प्रसन्‍न होते हैं। इससे जीवन में आ रहीं परेशानियों से छुटकारा मिलता है। 
  3. मनोकामनाओं की पूर्ति के लिए शनिवार के दिन पीपल के कुछ पत्तों को घर ले जाएं और धो लें। इसके बाद पानी में हल्दी घोलकर अनामिका उंगली से इस पर ह्रीं लिखें। अब इसे भगवान के पास रख दें इससे आपके सारे काम बन जाएंगे। 
  4. शनिवार के दिन सूर्यास्त के तुरंत बाद पीपल पेड़ के नीचे आटे का दीपक जलाएं। अब पेड़ के नीचे बैठकर एक कागज पर लाल स्याही या पेन से अपनी मनोकामना लिखें। अब इसे लाल कपड़े में लपेटकर इसे लाल कलावे से पेड़ पर बांध दें या वहां गाड़ दें। इससे आपकी इच्‍छा पूरी होगी और धन की किल्‍लत दूर होगी। 
  5. शनिवार के दिन पीपल वृक्ष के नीचे बैठकर हनुमान चालीसा का पाठ करना भी शुभ माना जाता है। इससे दोष दूर होते हैं और बाधाओं से बचाव होता है। 
  6. शनिवार के दिन पीपल के एक बड़े पत्ते पर लिख दें अपनी मनोकामना लिखकर पत्ते वाली डाली पर 7 बार एक लाल कलावा बांध दें। अब  लाल कलावे को 7 बार अपने हाथ में भी बांध लें। इससे आपकी मनोकामना पूरी होगी। शनिवार के दिन पीपल के पत्‍तों पर श्रीराम नाम लिखकर हनुमान जी को अर्पित करना भी शुभ माना जाता है। 

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पीपल वृक्ष के पूजन के कुछ नियम भी हैं, कहते हैं इस नियम के साथ जो पूजन करता है वो निहाल हो जाता है। हिंदू धर्म में पीपल वृक्ष का बहुत महत्व है। इसे सभी वृक्ष से शुद्ध और पूजनीय माना गया है। इसे विश्व वृक्ष, चैत्य वृक्ष और वासुदेव भी कहा जाता है। हिंदु दर्शन में लिखा गया है कि पीपल के पत्ते पत्ते में देवताओं खास कर विष्णु भगवान का वास होता है। हालांकि इसे पूजने के पीछे कुछ वैज्ञानिक कारण भी हैं। शनिवार के दिन इसकी काफी पूजा की जाती है कहते हैं इससे काम में सफलता मिलती है। इसके पूजन के कुछ नियम भी हैं कहते हैं इस नियम के साथ जो पूजन करता है वो निहाल हो जाता है। तो आइए जानें इसके पूजन से जुड़े कुछ ऐसे ही कारणों को।

वैज्ञानिक कारण

अधिकतर पेड़ दिन में आक्सीजन छोड़ते हैं और कार्बनडाइआक्साईड ग्रहण करते हैं। जबकि इंसानों के विपरित रात को सभी वृक्ष कार्बन-डाइआक्साईड छोड़ते हैं व आक्सीजन लेते हैं। इन्हीं कारणों से ये कहा जाता है कि रात को वृक्ष के नीचे सोना नहीं चाहिए, लेकिन वैज्ञानिकों के अनुसार पीपल एकमात्र ऐसा वृक्ष है जो 24 घंटे आक्सीजन ही छोड़ता है इसलिए इसके पास जाने से कई रोग दूर होते हैं और शरीर स्वस्थ रहता है। इसलिए इसे पूजा जाता है।

धार्मिक कारण

पीपल के वृक्ष के पूजन के पीछे रोचक धार्मिक कारण भी हैं। श्रीमद्भगवदगीता में भगवान श्री कृष्ण ने कहा है कि ‘अश्वत्थ: सर्ववृक्षाणाम, मूलतो ब्रहमरूपाय मध्यतो विष्णुरूपिणे, अग्रत: शिवरूपाय अश्वत्थाय नमो नम:’ यानी मैं वृक्षों में पीपल हूं। पीपल के मूल में ब्रह्मा जी, मध्य में विष्णु जी व अग्र भाग में भगवान शिव जी साक्षात रूप से विराजित हैं। भारतीय परंपरा में भी पेड़ पौधों को देवताओं का रुप मानकर पूजा जाता है। इन्ही कारणों से पीपल को देवता मान कर पूजन किया जाता है।

पूजन का फल

पीपल के पेड़ में नियमित रुप से जल चढ़ाने से मनोकामनाओं की पूर्ति होती है। शत्रुओं का नाश होता है साथ ही सुख संपत्ति, धन-धान्य, ऐश्वर्य, संतान सुख की भी प्राप्ति होती है। इसकी पूजा से ग्रह दोषों से भी निवारण मिलता है। कई लोग अमावस्या और शनिवार को पीपल वृक्ष की पूजा में विश्वास रखते हैं। ऐसा करने से सारी परेशानियां दूर होती हैं। पीपल के वृक्ष के नीचे सरसों के तेल का दीपक जलाने से काफी लाभ मिलता है। हर दिन ये करना संभव नहीं हो पाए, तो प्रत्येक शनिवार भी को ये करना लाभदायक सिद्ध होता है। ऐसा करने से रुके और बिगड़े काम बन जाते हैं साथ ही जीवन में सफलता मिलती है।

ना करें ये कार्य 

शास्त्रों में रविवार को पीपल पर जल चढ़ाना मना किया गया है, इससे जीवन में दरिद्रता आती है। इसलिए शनिवार को इस पर जल चढ़ाना श्रेष्ठ माना गया है। पीपल के वृक्ष को काटने की भी सलाह नहीं दी जाती है क्योंकि ऐसा करने से पितरों को कष्ट मिलता है और वंशवृद्धि में भी रुकावट होती है। हांलाकि किसी पूजा पवित्र के उद्देश्य से इस लकड़ी को काटने पर दोष नहीं लगता है।

शनिदेव को न्याय का देवता माना जाता है, जो कर्म के आधार पर दंड के विधान के तहत कार्य करते हैं। मान्यता के अनुसार इनके सिर पर स्वर्णमुकुट, गले में माला औश्र शरीर पर नीले रंग के वस्त्र और शरीर भी इंद्रनीलमणि के समान है। यह गिद्ध पर सवार रहते हैं।

शनिवार को पीपल में जल कितने बजे चढ़ाना चाहिए?

पीपल के वृक्ष पर जल सूर्योदय के बाद ही चढ़ाना चाहीए। जिससे आपके ऊपर माता लक्ष्मी की कृपा द्रष्टि सदा बनी रहे। पुराणों के अनुसार जो व्यक्ति पीपल के वृक्ष की परिक्रमा करता है उसकी सर्व मनोकामनाएं पूर्ण होती है, साथ ही शत्रुओं का नाश भी होता है।

शनिवार को पीपल में जल कैसे देना चाहिए?

हर शनिवार को शाम के वक्‍त स्‍वच्‍छ वस्‍त्र धारण करें और फिर दिन छिपने के बाद पीपल के वृक्ष की जड़ के पास जल अर्पित करें और सरसों के तेल का दीपक जलाएं। ऐसा करने से आपके ऊपर से शन‍ि की दशा का प्रभाव कम होता है और अनेक प्रकार के कष्टों का निवारण होता है।

पीपल की पूजा सुबह कितने बजे करनी चाहिए?

इसलिए सूर्योदय से पहले न तो पीपल की पूजा करनी चाहिए और न ही इस वृक्ष के पास जाना चाहिए, ऐसा करने से घर में दरिद्रता चली आती है। हमेशा सूर्योदय के बाद ही पीपल की पूजा करें।

शनिवार के दिन पीपल की कितनी परिक्रमा करनी चाहिए?

पीपल के पेड़ के तीन परिक्रमा करनी चाहिए