तीसरा सप्तक के कवि कौन है? - teesara saptak ke kavi kaun hai?

                
                                                                                 
                            

तार सप्तक, दूसरा सप्तक और तीसरा सप्तक साहित्यकार अज्ञेय के संपादन में निकली किताबें हैं जिसमें प्रत्येक संस्करण में 7 अलग-अलग कवियों की रचनाओं को छापा गया है। पेश हैं ‘तीसरा सप्तक’ में छपे कवियों की रचनाएं

प्रयागनारायण त्रिपाठी/ चाहता हूं

चाहता हूं
यही तो अंतिम मिलन
जिससे कि तुमसे तुमसे दूर रह कर भी
तुम्हारी याद में
तुम में
सरल विश्वास में
रस में
तुम्हारे प्राण में मैं रह सकूं
जिस से कि दूरी की व्यथा का दाह
कर दे भस्म हम में वह सब कुछ
(वर्जना, आसक्ति, कुंठा)
जो तुम्हारे साथ है
पर सच नहीं;
चाहता हूं मैं इसी से
यही चुम्बन
हो स्मरण अंतिम, चिरन्तन।

यह कैसा वक़्त है
कि किसी को कड़ी बात कहो
तो वह बुरा नहीं मानता|

जैसे घृणा और प्यार के जो नियम हैं
उन्हें कोई नहीं जानता|

ख़ूब खिले हुए फूल को देख कर
अचानक ख़ुश हो जाना,
बड़े स्नेही सुह्रद की हार पर
मन भर लाना,
झुंझलाना,
अभिव्यक्ति के इन सीधे-सादे रूपों को भी
सब भूल गए,
कोई नहीं पहचानता

यह कैसी लाचारी है
कि हमने अपनी सहजता ही
एकदम बिसारी है!

इसके बिना जीवन कुछ इतना कठिन है
कि फ़र्क़ जल्दी समझ में नहीं आता
यह दुर्दिन है या सुदिन है|

जो भी हो संघर्षों की बात तो ठीक है
बढ़ने वालों के लिए
यही तो एक लीक है|

फिर भी दुख-सुख से यह कैसी निस्संगता !
कि किसी को कड़ी बात कहो
तो भी वह बुरा नहीं मानता|

यह कैसा वक़्त है?

दूज की चांद ये आयी, आयी, गोरी रे याद तेरी
यह गंग-मूल बसे, तू पटना दौड़ी-दौड़ी आयीं जोन्हियां
शोहतर छायी जो आए, आई गोरी रे याद तेरी।

महीन लकीर लिखी मुख-आभा, दीप्त लकीर हंसी,
तू नख-शिख मुस्काई, आई गोरी रे याद तेरी।

व्यस्त सकल दिन, नींद-भरी रतिया, अधलड़ बेली-कोंढियां
तू संध्या की जुन्हाई, आई गोरी रे याद तेरी।

ध्रुव-जोन्ही यह आयी, आयी गोरी रे याद तेरी।

नाचती आयीं, चली गयी जोन्हियां, आंखें रहीं, ये रही,
परिचय-दीप्त सुहाई, आयी गोरी रे याद तेरी।

तम आया; ज्योति आयी, आयी गोरी रे याद तेरी।

झरने लगे नीम के पत्ते बढ़ने लगी उदासी मन की,
उड़ने लगी बुझे खेतों से
झुर-झुर सरसों की रंगीनी,
धूसर धूप हुई मन पर ज्यों-
सुधियों की चादर अनबीनी,
दिन के इस सुनसान पहर में रुक-सी गई प्रगति जीवन की ।
साँस रोक कर खड़े हो गए
लुटे-लुटे-से शीशम उन्मन,
चिलबिल की नंगी बाँहों में
भरने लगा एक खोयापन,
बड़ी हो गई कटु कानों को 'चुर-मुर' ध्वनि बाँसों के वन की ।
थक कर ठहर गई दुपहरिया,
रुक कर सहम गई चौबाई,
आँखों के इस वीराने में-
और चमकने लगी रुखाई,
प्रान, आ गए दर्दीले दिन, बीत गईं रातें ठिठुरन की ।

कुंवर नारायण/ ये पंक्तियां मेरे निकट

ये पंक्तियाँ मेरे निकट आईं नहीं
मैं ही गया उनके निकट
उनको मनाने,
ढीठ, उच्छृंखल अबाध्य इकाइयों को
पास लाने

कुछ दूर उड़ते बादलों की बेसंवारी रेख,
या खोते, निकलते, डूबते, तिरते
गगन में पक्षियों की पांत लहराती :
अमा से छलछलाती रूप-मदिरा देख
सरिता की सतह पर नाचती लहरें,
बिखरे फूल अल्हड़ वनश्री गाती

कभी भी पास मेरे नहीं आए
मैं गया उनके निकट उनको बुलाने,
गैर को अपना बनाने
क्योंकि मुझमें पिण्डवासी
है कहीं कोई अकेली-सी उदासी
जो कि ऐहिक सिलसिलों से
कुछ संबंध रखती उन परायी पंक्तियों से
और जिस की गांठ भर मैं बांधता हूं
किसी विधि से
विविध छंदों के कलावों से

विजयदेव नारायण साही/ रात-भर का सफ़र

रात-भर का सफ़र, तारों की विजय की होड़
गर्व का संबल, डगर की कोटिश; आयाम,
तभी मंज़िल- सा क्षितिज को बेध देता भोर
और केवल शेष रह जाता तुम्हारा नाम। 

सर्वेश्वरदयाल सक्सेना/ सूखे पीले पत्तों ने कहा

तेज़ी से जाते हुई कार के पीछे
पथ पर गिरे पड़े
निर्जीव सूखे पीले पत्तों ने भी
कुछ दूर दौड़ कर गर्व से कहा
’हम में भी गति है,
सुनो, हम में भी जीवन है,
रुको-रुको हम भी
साथ चलते हैं
हम भी प्रगतिशील हैं।’
लेकिन उन से कौन कहे-
प्रगति, पिछलग्गूपन नहीं है
और जीवन, आगे बढ़ने के लिए
दूसरों का मुँह नहीं ताकता ।

साभार- तीसरा सप्तक
भारतीय ज्ञानपीठ

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कीर्ति चौधरी/ वक़्त

तीसरा सप्तक के कवि कौन कौन है?

तीसरा सप्तक अज्ञेय द्वारा संपादित नई कविता के सात कवियों की कविताओं का संग्रह है। इसमें कुँवर नारायण, कीर्ति चौधरी, सर्वेश्वर दयाल सक्सेना, मदन वात्स्यायन, प्रयाग नारायण त्रिपाठी, केदारनाथ सिंह और विजयदेवनरायण साही की रचनाएँ संकलित हैं। इसका प्रकाशन भारतीय ज्ञानपीठ प्रकाशन से 1959 ई० में हुआ।

दूसरा सप्तक के कवि कौन है?

दूसरा सप्तक सात कवियों का संकलन है जिसका संपादन अज्ञेय द्वारा 1949 में तथा प्रकाशन 1951 में भारतीय ज्ञानपीठ से हुआ। दूसरा सप्तक में भवानी प्रसाद मिश्र, शकुन्तला माथुर, हरिनारायण व्यास, शमशेर बहादुर सिंह, नरेश मेहता, रघुवीर सहाय एवं धर्मवीर भारती की रचनाएँ संकलित हैं।

प्रथम तार सप्तक के कवि कौन है?

'नेमिचन्‍द्र जैन' प्रथम तारसप्‍तक के कवि है। अत: सही उत्तर विकल्प 4 'नेमिचन्‍द्र जैन' है। प्रथम तार सप्तक में गजानन माधव मुक्तिबोध, नेमिचन्द्र जैन, भारतभूषण अग्रवाल, प्रभाकर माचवे, गिरिजाकुमार माथुर, रामविलास शर्मा एवं अज्ञेय सहित सात कवियों की कविताएँ संकलित की गई हैं।

हिन्दी में कुल कितने तार सप्तक हुए हैं?

तार सप्तक में गजानन माधव मुक्तिबोध, नेमिचन्द्र जैन, भारतभूषण अग्रवाल, प्रभाकर माचवे, गिरिजाकुमार माथुर, रामविलास शर्मा एवं अज्ञेय सहित सात कवियों की कविताएँ संकलित की गई हैंतार सप्तक का प्रकाशन भारतीय ज्ञानपीठ द्वारा सन् 1943 ई० में किया गया है। इसी क्रम में अज्ञेय ने दूसरा सप्तक तथा तीसरा सप्तक प्रकाशित किया।