दो शब्दों के बीच संबंध बताने के लिए इस चिह्न का प्रयोग होता है- - do shabdon ke beech sambandh bataane ke lie is chihn ka prayog hota hai-

Contents

  • 1 Viram chinh (Punctuation Marks) विराम-चिह्न की परिभाषा भेद और Examples
    • 1.1 विराम-चिह्नों का महत्त्व
    • 1.2 हिंदी के प्रमुख विराम-चिह्न
    • 1.3 विराम चिन्ह अभ्यास-प्रश्न.

दो शब्दों के बीच संबंध बताने के लिए इस चिह्न का प्रयोग होता है- - do shabdon ke beech sambandh bataane ke lie is chihn ka prayog hota hai-

विराम का अर्थ है-रुकना या ठहरना। मनुष्य अपनी बात को स्पष्ट करने के लिए बीच-बीच में रुकता है। यह अलग बात है कि तुलनात्मक दृष्टि से हम कहीं अधिक रुकते हैं और कहीं कम। किसी शब्द के उच्चारण में हम अधिक बल देते हैं तो किसी के उच्चारण में कम।

Viram chinh (Punctuation Marks) विराम-चिह्न की परिभाषा भेद और Examples

इतना ही नहीं कभी-कभी एक ही वाक्य का उच्चारण हम अलग-अलग अनुतान के साथ भी करते हैं; जैसे :

  • सोनिया मुंबई जाएगी। (सामान्य कथन)
  • सोनिया मुंबई जाएगी! (आश्चर्य भाव के साथ)
  • सोनिया मुंबई जाएगी? (प्रश्न के रूप में)

हमें एक ऐसी व्यावहारिक व्याकरण की पुस्तक की आवश्यकता महसूस हुई जो विद्यार्थियों को हिंदी भाषा का शुद्ध लिखना, पढ़ना, बोलना एवं व्यवहार करना सिखा सके। ‘हिंदी व्याकरण‘ हमने व्याकरण के सिद्धांतों, नियमों व उपनियमों को व्याख्या के माध्यम से अधिकाधिक स्पष्ट, सरल तथा सुबोधक बनाने का प्रयास किया है।

इस प्रकार मौखिक भाषा की ऐसी अनेक युक्तियों (जैसे : कहीं रुकना, कहीं बल देना, कहीं भिन्न-भिन्न अनुतान के साथ बोलना आदि) को जब लिखित भाषा में प्रयुक्त करना होता है तो उसके लिए कुछ चिह्न निर्धारित किए जाते हैं, यही चिहन विराम-चिहन कहलाते हैं।

लिखित भाषा में प्रयुक्त किए जाने वाले लिखित चिह्नों या संकेतों को विराम-चिह्न’ कहा जाता है।

विराम-चिह्नों का महत्त्व

भाषा में विराम-चिह्नों का बहुत महत्त्व है। यदि सही विराम-चिह्नों का प्रयोग न किया जाए तो कभी-कभी अर्थ का अनर्थ भी हो जाता है; जैसे : एक पत्नी ने अपने पति को पत्र लिखा। उस पत्र में वह विराम-चिह्न लगाना भूल गई थी और याद आने पर जल्दी-जल्दी विराम-चिह्न लगा दिए। पत्र इस तरह है :

प्रिय अमित,
प्रणाम। आपके चरणों में क्या चक्कर है? आपने कई दिनों से पत्र नहीं लिखा मेरी सखी रीना को। नौकरी से निकाल दिया है हमारी गाय ने। बछड़ा दिया है दादा जी ने। सिगरेट पीनी शुरू कर दी मैंने। बहुत पत्र डाले तुम नहीं आए कुत्ते के बच्चे। भेड़िया खा गया है चीनी। घर आते वक्त ले आना एक खूबसूरत औरत। मेरी नई सहेली बन गई है माधुरी। इस समय टी०वी० पर गा रही है हमारी भैंस। बेच दी है तुम्हारी दादी। तुम्हें याद करती है तुम्हारी पड़ोसन । मुझे तंग करती है तुम्हारी बहन। सिरदर्द से लेटी है बिल्ली। पागल हो गई है तुम्हारी जमीन। गेहूँ उग आए हैं चाचा जी के सिर पर। सिकरी हो गई है मेरी पाँव में। चोट लग गई है तुम्हारे पत्र को। हर वक्त तरसती रहती है।

तुम्हारी
कामिनी

इस प्रकार विराम-चिह्नों का गलत प्रयोग करने से अर्थ का अनर्थ हो जाता है। उपरोक्त पत्र में विराम-चिह्नों का सही प्रयोग करने पर इसका निम्नलिखित रूप बनेगा :

प्रणाम आपके चरणों में। क्या चक्कर है आपने कई दिनों से पत्र नहीं लिखा? मेरी सखी रीना को नौकरी से निकाल दिया है। हमारी गाय ने बछड़ा दिया है। दादा जी ने सिगरेट पीनी शुरू कर दी। मैंने बहुत पत्र डाले तुम नहीं आए। कुत्ते के बच्चे भेड़िया खा गया है। चीनी घर आते वक्त ले आना। एक खूबसूरत औरत मेरी नई सहेली बन गई है। माधुरी इस समय टी०वी० पर गा रही है। हमारी भैंस बेच दी है। तुम्हारी दादी तुम्हें याद करती है। तुम्हारी पड़ोसन मुझे तंग करती है। तुम्हारी बहन सिरदर्द से लेटी है। बिल्ली पागल हो गई है। तुम्हारी ज़मीन गेहूँ उग आए हैं। चाचा जी के सिर पर सिकरी हो गई है। मेरी पाँव में चोट लग गई है। तुम्हारे पत्र को हर वक्त तरसती रहती है।

तुम्हारी
कामिनी

हिंदी के प्रमुख विराम-चिह्न

हिंदी में निम्नलिखित विराम-चिहनों का प्रयोग किया जाता है :

 नाम चिहन
1.  पूर्ण विराम (Full Stop)  [।]
2.  अर्ध विराम (Semi Colon)  [;]
3.  अल्प विराम (Comma)  [,]
4.  उपविराम (Colon)  [:]
5.  प्रश्नवाचक चिह्न (Question Mark)  [?]
6.  विस्मयवाचक चिह्न (Sign of Exclamation)  [!]
7.  योजक या विभाजक (Hyphen)  [-]
8.  निर्देशक (Dash)  [–]
9.  अवतरण या उद्धरण चिह्न (Inverted Comma)  [“”]
10.  विवरण चिह्न (Colon Dash)  [:-]
11.  कोष्ठक (Brackets)  (){}[]
12.  हंसपद या त्रुटिपूरक  [^λ]
13.  लाघव चिह्न या संक्षेपसूचक (Sign of Abbreviation)  [ο]

1. पूर्ण विराम (।) : हम बोलते समय वाक्य की समाप्ति पर कुछ समय के लिए विराम देते या रुकते हैं तब अगला वाक्य आरंभ करते हैं। इसी प्रकार लिखते समय भी प्रत्येक वाक्य (सरल, संयुक्त अथवा मिश्र) के बाद (केवल प्रश्नवाचक तथा विस्मयवाचक वाक्यों को छोड़कर) ‘पूर्ण विराम चिह्न लगाते हैं तथा फिर नया वाक्य आरंभ करते हैं; जैसे : ‘बच्चे खेल रहे थे। अचानक बारिश आ गई। सभी लोग भींगने लगे। अचानक एक बच्चे का पैर फिसल गया। सब बच्चे उसके पास आकर इकट्ठे हो गए।’

दोहा, सोरठा, चौपाई, छंदों में भी पूर्ण विराम-चिह्न का प्रयोग किया जाता है। पहले चरण के अंत में एक पूर्ण विराम (।) तथा दूसरे चरण के अंत में दो पूर्ण विराम (॥) लगाए जाते हैं; जैसे : आगे चले बहुरि रघुराया। ऋष्यमूक पर्वत नियराया॥ आजकल कुछ पत्र-पत्रिकाओं (सरिता, मुक्ता आदि) में पूर्ण विराम (।) के स्थान पर रोमन के ‘फुल स्टॉप’ चिह्न (.) का प्रयोग किया जाने लगा है, परंतु यह हमारी भाषाओं और लिपियों की प्रकृति के अनुकूल नहीं है। अतः स्वीकृत नहीं हो सका है।

2. अर्ध विराम (;) : जब कभी पूर्ण विराम की तुलना में थोड़ी कम अवधि के लिए रुका जाता है, वहाँ अर्ध विराम चिह्न का प्रयोग होता है। अर्ध विराम (;) का प्रयोग हमें निम्नलिखित स्थितियों में दिखाई देता है :

संयुक्त वाक्य के समानाधिकृत उपवाक्यों के बीच; जैसे :
मदन स्कूल से सीधे घर पहुंचा; हाथ-मुँह धोकर उसने नाश्ता किया; अपनी साइकिल उठाई और चल पड़ा मटरगश्ती करने।

मिश्र तथा संयुक्त वाक्यों में विपरीत अर्थ प्रकट करने वाले उपवाक्यों के बीच; जैसे :
1. वह हाथ जोड़ता रहा; वे लोग उसे पीटते रहे।
2. मैं उसे प्यार करता हूँ; वह मुझसे नफ़रत करती है।

मिश्र वाक्य में प्रधान उपवाक्य तथा कारणवाची क्रियाविशेषण उपवाक्य के बीच; जैसे :
1. वे लोग सारी रात दवाई की खोज में इधर से उधर भटकते रहे पर दवाई न मिली; क्योंकि यह दवाई विदेश से ही आती है।
2. शीला के पिता ने बहुत कोशिश की कि कोई अच्छा लड़का मिल जाए पर ऐसा हो न सका; क्योंकि शीला पढ़ी-लिखी न थी।

किसी वाक्य में उदाहरण सूचक ‘जैसे’ के पहले : लिखित भाषा में रुकने अथवा विराम के लिए जिन चिह्नों का प्रयोग होता है उन्हें विराम-चिह्न कहते हैं;
जैसे-पूर्ण विराम (1), अर्ध विराम (;), अल्प विराम (,) आदि।

विभिन्न उपवाक्यों में अधिक बल देने के लिए; जैसे :
1. सदैव आगे बढ़ते रहो; रुकना मृत्यु का नाम है।

3. अल्प विराम (,) : जब वाक्य के मध्य में अर्ध विराम की तुलना में कुछ कम समय के लिए रुका जाता है तब ‘अल्प विराम’ चिह्न का प्रयोग किया जाता है। अल्प विराम चिह्न का प्रयोग निम्नलिखित स्थितियों में होता है :

किसी वाक्य में दो या दो से अधिक समान पद वाले शब्दों या पदबंधों में अलगाव दिखाने के लिए; जैसे :
1. ‘गणतंत्र दिवस की परेड में बच्चे, बूढ़े, स्त्री, पुरुष सभी एकत्रित हुए।’ (समान पद वाले शब्द)
2. ‘शराब पीना, सिगरेट पीना, जुआ खेलना, चोरी करना, झूठ बोलना और जाने कितने ऐब थे उनमें।’ (पदबंध)

वाक्य के बीच विभिन्न उपवाक्यों में अलगाव दिखाने के लिए; जैसे :
‘एक दिन की बात है, एक शिकारी जंगल में आया और मेरे ख्याल से, इसी पेड़ पर चढ़कर बैठ गया।’

उपाधियों में अलगाव के लिए; जैसे :
(i) बी०ए०, एम०ए०, पी-एच०डी० ।
(ii) बी०एस-सी०, एम०एस-सी०, पी-एच०डी०; डी०लिट् ।

हाँ/नहीं के बाद; जैसे :
नहीं, मैं नहीं चल सकता। हाँ, तुम जाना चाहो तो चले जाओ।

उद्धरण चिह्न के पूर्व; जैसे :
माता जी बोली, “मैं आपके साथ नहीं रहूँगी।”

शब्दों/वाक्यांशों की पुनरावृत्ति होने पर; जैसे :
1. चलो, चलो निकलो यहाँ से।
2. क्या करता, क्या न करता, कुछ भी समझ में नहीं आ रहा था।

एक ही वाक्य में अनेक प्रश्नसूचक उपवाक्य होने पर प्रश्नसूचक चिह्न अंत में आता है तथा प्रश्नों के बीच में अल्प विराम का प्रयोग होता है; जैसे :
मैं कौन हूँ, कहाँ जा रहा हूँ, किससे मिलता हूँ, इससे आपको क्या मतलब?

महीने की तारीख़ और सन् को अलग-अलग करने के लिए; जैसे :
26 जनवरी, सन् 1999……।

वाक्य में आए शब्द-युग्मों में अलगाव दिखाने के लिए; जैसे :
‘पाप और पुण्य, सच और झूठ, बेईमानी और ईमानदारी ये सब सामाजिक मूल्य हैं।’

समानाधिकरण शब्दों/पदबंधों के बीच; जैसे :
अध्यापक आए, पुस्तक निकाली, ज़ोर-ज़ोर से पढ़ाने लगे।

विशेषण उपवाक्य का प्रयोग वाक्य के मध्य में होने पर; जैसे :
1. वह लड़का, जो यहाँ आया था, पकड़ा गया।
2. वह किताब, जिसे मैंने खरीदा था, फट गई।

संबोधन शब्द के बाद, यदि संबोधन शब्द मध्य में हो तो उसके पहले तथा बाद में; जैसे :
1. मित्रों, मैं तो आप लोगों का भला ही चाहता हूँ।
2. सुनो भाइयों, मेरी बात सुनो।

पत्र लिखते समय, अभिवादन लिखते समय, समापन के समय तथा पता लिखते समय; जैसे :
अभिवादन-पूज्य माता जी, प्रिय बंधु।
समापन-भवदीय, आपका ही।

4. उपविराम (:) : इसे अपूर्ण विराम भी कहा जाता है। इसका प्रयोग निर्देश देने, संवाद-लेखन तथा शीर्षकों आदि में किया जाता है;
जैसे : शीर्षक – माँ : ममता की प्रतिमूर्ति
संवाद – सुमित : चलिए, आपको यमराज से मिलवाऊँ।
अमित : भाई, अभी मेरी उनसे मिलने की उम्र नहीं हुई।

5. प्रश्नवाचक चिह्न (?) : प्रश्नवाचक चिहन का प्रयोग निम्नलिखित स्थितियों में होता है :

जब वक्ता वाक्य में प्रश्नवाचक शब्दों, जैसे कब, कहाँ, कैसे, क्यों, कब आदि का प्रयोग करते हुए प्रश्न पूछता है; जैसे :
1. क्या आप जा रही हैं?
2. वह कहाँ मिलेगी आपको?
3. आपने उसे क्यों बुलाया?

संरचना की दृष्टि से सामान्य विधानवाचक (कथनात्मक) वाक्यों को प्रश्न, संदेह या अनिश्चय के भाव के साथ अनुतान परिवर्तन कर जहाँ बोला जाता है। जैसे :
1. वह जाएगा दिल्ली?
2. वह ईमानदार? मैं नहीं मान सकता।
3. मैं झूठ बोल रहा हूँ?

व्यंग्यात्मक भाव प्रकट करने के लिए भी सामान्य कथन के बाद कोष्ठक में अंत में जैसे :
उनके जैसा धर्मात्मा पैदा ही नहीं हुआ (?)

विशेष : प्रायः छात्र वाक्य में जहाँ भी प्रश्नवाचक शब्द का प्रयोग देखते हैं प्रश्नवाचक चिह्न लगा देते हैं। ऐसा हर जगह नहीं हो सकता, क्योंकि प्रश्नवाचक शब्द हर स्थान पर प्रश्न पूछने के लिए ही प्रयुक्त नहीं होते। उदाहरण के लिए कुछ वाक्यों में प्रश्नवाचक शब्द डाँटने के लिए प्रयुक्त होते हैं; जैसे : क्या बक रहे हो, चले जाओ यहाँ से या कहीं ये संबंधसूचक का कार्य करते हैं; जैसे : वे क्या कह रहे थे, मैं तो समझा ही नहीं। ध्यान रखिए ऐसे स्थानों पर प्रश्नवाचक चिह्न नहीं लगाया जाता।

6. विस्मयवाचक चिह्न (!) : प्रायः आश्चर्य, घृणा, प्रसन्नता आदि मनोभावों को प्रकट करने वाले विस्मयवाचक शब्दों के बाद ही इस चिह्न का प्रयोग निम्नलिखित स्थितियों में किया जाता है; जैसे :

विस्मयवाचक शब्दों (पदों), पदबंधों अथवा वाक्यों के अंत में; जैसे:
1. अरे! वह चली गई। (आश्चर्य)
2. तुम जाओगे दिल्ली! (आश्चर्य)
3. छि:! तुमने तो नाम ही डुबो दिया। (धिक्कार)
4. वाह ! कितना सुंदर दृश्य है। (प्रसन्नता)

संबोधन में भी संबोधन शब्द के बाद जैसे :
1. भाइयो और बहिनो! मैं आपके लिए एक समाचार लाया हूँ।
2. मित्रो! मुझे अफ़सोस है कि इस प्रकार जहाँ भी किसी मनोभाव का प्रदर्शन होता है प्रायः विस्मयादिबोधक चिह्न का प्रयोग किया जाता है; जैसे :
अफ़सोस! बहुत अफ़सोस है मुझे।

प्रश्नवाचक वाक्य के अंत में मनोवेग प्रदूशत करने के लिए; जैसे :
1. सुन क्यों नहीं रहे, बहरे हो क्या!

7. योजक या विभाजक (-) : इस चिह्न का प्रयोग निम्नलिखित स्थितियों में होता है :

  • तत्पुरुष तथा द्वंद्व समास में दोनों पदों के मध्य :
    गीत-संगीत, माता-पिता, भाई-बहिन, स्त्री-पुरुष, खरा-खोटा।
  • मध्य के अर्थ में; जैसे-(i) कृष्ण-सुदामा-चरित्र (ii) कालका-हावड़ा मेल।
  • शब्दों के द्वित्व रूपों में; जैसे-कभी-कभी, धीरे-धीरे, हँसते-हँसते, चलते-चलते, सोते-सोते।
  • तुलना-सूचक सा/सी/से के पहले-तुम-सा, मीरा-सी भक्त, लक्ष्मण-सा भाई।
    . विभिन्न शब्द-यग्मों में-भीड-भाड. डर-वर. पानी-वानी. नाच-वाच।
  • संख्याओं तथा उनके अंशों को शब्दों में लिखते समय-तीन-चौथाई, दो-तिहाई आदि।

8. निर्देशक (-) : निर्देशक चिह्न भी पड़ी लकीर के रूप में होता है पर योजक चिह्न से इसका आकार बड़ा होता है।
इसका प्रयोग निम्नलिखित स्थितियों में होता है :

किसी वाक्यांश/पद की व्याख्या या उसको स्पष्ट करने के लिए; जैसे :
“तुम्हें एक अच्छा नागरिक बनना है”-परिश्रम, लगन, निष्ठा और कार्यकुशलता से।

किसी व्यक्ति के द्वारा कहे गए कथन को उद्धृत करने के पहले; जैसे :
गांधी जी ने कहा था-“सत्य और अहिंसा से ही हम देश को आजाद करा सकते हैं।”

संवादों/वार्तालापों में नामों के बाद :
शीला – कहिए क्या हाल है?
मदन – ठीक हूँ।
शीला – कब आए दिल्ली से वापस?
मदन – कल।

‘निम्नलिखित’ शब्द के बाद; जैसे :
1. निम्नलिखित कथन पर ध्यान दीजिए :
2. निम्नलिखित गद्यांश का अर्थ लिखिए :

किसी अवतरण या अंश को लिखकर उसके लेखक का नाम लिखना हो तो इस चिह्न का प्रयोग होता है; जैसे :
1. ‘स्वतंत्रता हमारा जन्म सिद्ध अधिकार है’-बालगंगाधर तिलक।
2. ‘मैया मैं नहिं माखन खायो’-सूरदास।

निक्षिप्त पदों के आगे-पीछे; जैसे :
1. राष्ट्रीय स्वतंत्रता संग्राम के सेनानी-भगत सिंह-को कौन नहीं जानता।
2. हिंदी कहानी के सम्राट-मुंशी प्रेमचंद-भारत में ही नहीं विश्व में भी अमर हो गए।

9. अवतरण या उद्धरण चिह्न (“”) :
किसी के द्वारा कहे गए कथन या किसी महापुरुष की वाणी को उद्धृत करते समय; जैसे :
1. माँ ने कहा था, “अगर स्वामी जी नहीं आए तो वे मंदिर कभी नहीं जाएँगी।”
2. तिलक ने कहा था, “स्वतंत्रता हमारा जन्म सिद्ध अधिकार है।”
3. रहीम ने सत्य ही कहा है :
“रहिमन पानी राखिए बिन पानी सब सून।
पानी गए न ऊबरे मोती, मानुस, चून॥”

किसी व्यक्ति का नाम या उपनाम या किसी पुस्तक का नाम इकहरे उद्धरण चिह्न (‘) द्वारा लिखा जाता है; जैसे:
1. छायावाद के चार प्रमुख कवि हैं-‘प्रसाद’, ‘निराला’, ‘पंत’ तथा ‘महादेवी’।
2. ‘गोदान’ भारतीय कृषक-जीवन की व्यथा है।

10. विवरण चिह्न (:-) : वाक्यांशों के विषय में कुछ सूचना, निर्देश आदि देना हो तो विवरण चिह्न प्रयुक्त होता है; जैसे:
1. अब हम अपनी बात नीचे दिए गए उदाहरणों से स्पष्ट करेंगे :
2. भाषा के दो प्रमुख रूप हैं :
(क) उच्चरित भाषा
(ख) लिखित भाषा।

11. कोष्ठक (), { }, || : कोष्ठकों का प्रयोग निम्नलिखित स्थितियों में किया जाता है :

किसी कठिन शब्द को स्पष्ट करने के लिए; जैसे :
1. लौकिक (सांसारिक) तथा परलौकिक (ईश्वरीय) शक्तियों की टकराहट से मनुष्य कहाँ तक बचेगा।
2. जब पंडित जी (पं० नेहरू) वहाँ पहुँचे तो नेता जी (सुभाषचंद्र बोस) ने उठकर उनका स्वागत किया।
तीनों प्रकार के कोष्ठकों का प्रयोग गणित में होता है।

( ) कोष्ठक का प्रयोग विकल्प दिखाने के लिए भी होता है; जैसे :
हिंदी वाक्यों की मूल संरचना इस प्रकार की होती है :

(i) कर्ता (कर्म) क्रिया
नाटक तथा एकांकी में भाव और संकेत आदि प्रकट करने के लिए “राजन, (अनुरोध भरे संवाद में) आप मेरे लिए भी ऐसी घड़ी देंगे न!”
अर्थात् यहाँ कर्म को कोष्ठक में रखने का अर्थ है कि कर्म तभी आएगा जब क्रिया सकर्मक होगी। अकर्मक क्रिया वाले वाक्य में कर्म नहीं होगा।

क्रमसूचक अंकों/अक्षरों के साथ :
(क), (ख), (ग), (10), (11),(12)

12. हंसपद या त्रुटिपूरक (^λ): इसे त्रुटिपूरक भी कहा जाता है। लिखते समय जब कोई शब्द या अंश छूट जाता है तो इस चिह्न को लगाकर उस शब्द को ऊपर लिख दिया जाता है; जैसे :
हमने आपसे पहले ही कह दिया था कि इस समय डॉक्टर नहीं मिलेंगे।

13. लाघव चिह्न या संक्षेपसूचक (०): किसी बड़े अंश का संक्षिप्त रूप लिखने के लिए संक्षेपसूचक चिह्न का प्रयोग किया जाता है; जैसे:

अर्जित अवकाश  अ०अ०  कार्यालय अधीक्षक  का०अ०  कार्यालय आदेश  का०आ०
कृपया पृष्ठ पलटिए  कृ०पृ०प०  मास्टर ऑफ आर्ट्स  एम०ए०  डॉक्टर  डॉ.

विराम चिन्ह अभ्यास-प्रश्न.

1. विराम-चिह्न किसे कहते हैं?
2. अल्प विराम और अर्ध विराम में क्या अंतर है? दोनों का एक-एक उदाहरण दीजिए।
3. योजक चिह्न का प्रयोग कहाँ किया जाता है? उदाहरण देकर समझाइए।
4. पूर्ण विराम का प्रयोग कहाँ किया जाता है? उदाहरण देकर समझाइए। विराम-चिह्न
5. निम्नलिखित चिह्नों को पहचान कर उनके नाम लिखिए तथा इनका प्रयोग करते हुए एक-एक वाक्य बनाइए :
(क) ? (ख) ! (ग) :- (घ) () (ङ); (च) , (छ) λ
6. प्रश्नवाचक, योजक, उद्धरण, कोष्ठक और अल्प विराम का प्रयोग करते हुए एक-एक वाक्य बनाइए।
7. पाठ्यपुस्तक ‘स्पर्श’ की इन पंक्तियों में उचित स्थान पर विराम-चिह्न लगाइए :
1. हीरे के प्रेमी तो शायद उसे साफ़ सुथरा खरादा हुआ आँखों में चकाचौंध पैदा करता हुआ देखना पसंद करेंगे
2. अभिजात वर्ग ने प्रसाधन सामग्री में बड़े बड़े आविष्कार किए लेकिन बालकृष्ण के मुँह पर छाई हुई वास्तविक गोधूलि की तुलना में वह सभी सामग्री क्या धूल नहीं हो गई
3. जिसने लिखा था धन्य धन्य वे हैं नर मैले जो करत गात कनिया लगाय धूरि ऐसे लरिकान की उसने भी माने। धूल भरे हीरों का महत्व कम करने में कुछ उठा न रखा था।
4. धन्य धन्य में ही उसने बड़प्पन को विज्ञापित किया फिर मैले शब्द से अपनी हीनभावना भी व्यंजित कर दी अंत में ऐसे लरिकान कहकर उसने भेद बुद्धि का परिचय भी दे दिया 5. रूप रस गंध स्पर्श इन्हें कौन संभव करता है
6. धूलि धूलि धूली धूरि आदि की व्यंजनाएँ अलग अलग हैं
7. खरबूजों के समीप एक अधेड़ उम्र की औरत बैठी रो रही थी खरबूजे बिक्री के लिए थे परंतु उन्हें खरीदने – के लिए कोई कैसे आगे बढ़ता।
8. अरे इन लोगों का क्या है ये कमीने लोग रोटी के टुकड़े पर जान देते हैं इनके लिए बेटा बेटी खसम लुगाई __धर्म ईमान सब रोटी का टुकड़ा है
9. झाड़ना फूंकना हुआ नागदेव की पूजा हुई पूजा के लिए दान दक्षिणा चाहिए घर में जो कुछ आटा और अनाज था दान दक्षिणा में उठ गया
10. बुढ़िया रोते रोते आँखें पोंछते पोंछते भगवाना के बटोरे हुए खरबूजे डलिया में समेट कर बाज़ार की ओर चली ___और चारा भी क्या था
11. तभी कर्नल खुल्लर मेरी तरफ़ मुड़कर कहने लगे क्या तुम भयभीत थीं।
12. मैंने उसे दृढ़तापूर्वक कहा मैं भी औरों की तरह एक पर्वतारोही हूँ इसीलिए इस दल में आई हूँ
13. मैंने जवाब दिया नहीं जिसे सुनकर वे बहुत अधिक आश्चर्यचकित और आनंदित हुए
14. उन्होंने मुझे गले से लगाया और मेरे कानों में फुसफुसाया दीदी तुमने अच्छी चढ़ाई की मैं बहुत प्रसन्न हूँ
15. मुझे बधाई देते हुए उन्होंने कहा मैं तुम्हारी इस अनूठी उपलब्धि के लिए तुम्हारे माता पिता को बधाई देना चाहूँगा
16. तीसरे दिन की सुबह तुलने मुझसे कहा मैं धोबी को कपड़े देना चाहता हूँ
17. किसी लॉण्ड्री पर दे देते हैं जल्दी धुल जाएँगे मैंने कहा मन ही मन एक विश्वास पल रहा था कि तुम्हें जल्दी जाना है
18. बार बार यह प्रश्न उठ रहा है तुम कब जाओगे अतिथि
19. कल पत्नी ने धीरे से पूछा था कब तक टिकेंगे ये।
20. तुम लौट जाओ अतिथि इसी में तुम्हारा देवत्व सुरक्षित रहेगा यह मनुष्य अपनी वाली पर उतरे उसके पूर्व तुम – लौट जाओ
21. यही जिज्ञासा उनसे सवाल कर बैठी आखिर समुद्र का रंग नीला ही क्यों होता है कुछ और क्यों नहीं
22: बैंजनी के बाद क्रमशः नीले आसमानी हरे पीले नारंगी और लाल वर्ण का नंबर आता है इस प्रकार लाल वर्णीय प्रकाश की ऊर्जा सबसे कम होती है
23. हम आकाश का वर्णन करते हैं पृथ्वी का वर्णन करते हैं जलाशयों का वर्णन करते हैं पर कीचड़ का वर्णन भी किसी ने किया है
24. फिर जब कीचड़ ज़्यादा सूखकर ज़मीन ठोस हो जाए तब गाय बैल पाड़े भैंस भेड़ बकरे इत्यादि के पदचिह्न उस पर अंकित होते हैं उसकी शोभा और ही है।
25. वे कहेंगे कि आप वासुदेव की पूजा करते हैं इसलिए वसुदेव को तो नहीं पूजते हीरे का भारी मूल्य देते हैं किंतु कोयले या पत्थर का नहीं देते और मोती को कंठ में बाँधकर फिरते हैं किंतु उसकी मातुश्री को गले में नहीं बाँधते
26. पाश्चात्य देशों में धनी लोगों की गरीब मजदूरों की झोंपड़ी का मजाक उड़ाती हुई अट्टालिकाएँ आकाश से __ बातें करती हैं गरीबों की कमाई ही से वे मोटे पड़ते हैं और उसी के बल से वे सदा इस बात का प्रयत्न करते हैं कि गरीब सदा चूसे जाते रहें
27. हमारे देश में इस समय धनपतियों का इतना ज़ोर नहीं है यहाँ धर्म के नाम पर कुछ इने गिने आदमी अपने हीन स्वार्थों की सिद्धि के लिए, करोड़ों आदमियों की शक्ति का दुरुपयोग किया करते हैं
28. धर्म और ईमान मन का सौदा हो ईश्वर और आत्मा के बीच का संबंध हो आत्मा को शुद्ध करने और ऊँचे उठाने का साधन हो
29. परंतु उनकी बात के उड़ने से पहले प्रत्येक आदमी का कर्तव्य यह है कि वह भलीभाँति समझ ले कि महात्माजी के धर्म का स्वरूप क्या है
30. वह अपने पवित्र नाम पर अपवित्र काम करने वालों से यही कहना पसंद करेगा मुझे मानो या न मानो तुम्हारे मानने से ही मेरा ईश्वरत्व कायम नहीं रहेगा दया करके मनुष्यत्व को मानो पशु बनना छोडो और आदमी बनो
31. मित्रों के बीच विनोद में अपने को गांधीजी का हम्माल कहने में और कभी कभी अपना परिचय उनके पीर बावर्ची भिश्ती खर के रूप में देने में वे गौरव का अनुभव किया करते थे
32. यंग इंडिया के पीछे पीछे नवजीवन भी गांधी जी के पास आया और दोनों साप्ताहिक अहमदाबाद से निकलने लगे
33. चित्रांगदा कच देवयानी की कथा पर टैगोर द्वारा रचित विदाई का अभिशाप शीर्षक नाटिका शरद बाबू की कहानियाँ आदि अनुवाद उस समय की उनकी साहित्यिक गतिविधियों की देन है
34. बड़े बड़े देशी विदेशी राजपुरुष राजनीतिज्ञ देश विदेश के अग्रगण्य समाचार पत्रों के प्रतिनिधि अंतर्राष्ट्रीय संगठनों के संचालक पादरी ग्रंथकार आदि गांधी जी से मिलने के लिए आते थे 35. जाते आते पूरे 11 मील चलते थे रोज़ रोज़ का यह सिलसिला लंबे समय तक चला कुल मिलाकर इसका जो प्रतिकूल प्रभाव पड़ा उनकी अकाल मृत्यु के कारणों में वह एक कारण माना जा सकता है

8. निम्नलिखित में विराम-चिह्न लगाइए
1. रमेश ने सोहन को पुकारा सोहन ओ सोहन पर सोहन ने कोई ध्यान न दिया वह सोचता सोचता राम श्यामू और मोहन के खेतों के पार निकल गया
2. जो व्यक्ति बुद्धिमानी की बात नहीं करते सहानुभूति के गुणों से रहित हैं हमें कर्तव्य का बोध भी नहीं कराते ऐसे मित्रों का न होना ही भला है
3. सभी त्योहार होली दीवाली ईद क्रिसमस मिलकर मनाओ
4. मैंने फिर संक्षेप में निवेदन किया देवी क्या आज्ञा है देवी ने क्षीण कंठ से कहा चलो
5. अरे मूर्ख तू समझता क्यों नहीं राजा ने क्रोध से कहा यह हमारे मान अपमान का प्रश्न है अतः सोच समझकर बोल
6. मैं तो ठहर गया बोल तू कब ठहरेगा गौतम ने कहा
7. हैं हमारी सेना हार गई राजा ने आश्चर्य से कहा जी हाँ यह सच है मंत्री ने विनीत भाव से उत्तर दिया
8. वह सुशील मिलनसार योग्य और सुंदर है किंतु थोड़ा सनकी है
9. महाराज ने कहा इन भोले भाले बच्चों को छोड़ दो इन्हें भरपेट बेर खिलाओ यह बेचारे इन्हीं के लिए तो ढेले मार रहे थे
10. (क) कुछ बातें सुनी सुनाई होती हैं और कुछ मनगढंत और कुछ आपबीती (ख) जो पत्र आज आया है कहाँ है
11. ऐसे व्यक्ति समाज में बहुत मिल जाएँगे जो शराब गाँजा अफीम चरस आदि के बिना नहीं रह सकते
12. सभी नारे लगाने लगे महात्मा गांधी की जय
13. नेता जी ने कहा तुम मुझे खून दो मैं तुम्हें आजादी दूंगा
14. स्वतंत्र भारत का संपूर्ण उत्तरदायित्व आज युवकों पर है क्योंकि आज जो युवक हैं वे ही कल भारत के नागरिक होंगे
15. भगवान सबका भला करे जो दे उसका जो न दे उसका भी
16. मुहाने पर खड़ा कोई पुकार रहा है अजी उधर कहाँ जा रहे हैं आप लोग चंडी मंदिर तो इधर है
17. वह फिर बोले कुछ लोग जूते में डाल लेते हैं जूते उतारकर झाड़े मगर टिकट नदारद
18. हाय मेरे भाग्य में यही था मैं कमल रोशन तथा नरेंद्र तीनों में से एक को भी न पढ़ा पाया घर क्यों क्या यही ईश्वर का न्याय है
19. वे बोले सुन तू सदा सच बोल तुझे कोई कमी नहीं रहेगी क्या भगवान का नाम लेती है यदि नहीं तो लिया कर
20. अरे कमला कब गई जब मैं मिला था वह कुछ नहीं बोली
21. अच्छा तुम आ गए मैं तुम्हारा इंतज़ार कर रहा था क्योंकि तुम मेरे साथ चलोगे
22. तब श्री व्यास जी ने कहा नारद जी तुम छोटे से थे तुम्हारी माँ मर गई तुम वहाँ पहुँच कर क्या रोए थे नारद जी बोले नहीं छोटा ज़रूर था पर सत्संग का प्रभाव था इसलिए रोया नहीं
23. तुम फिर घूमने चल दिए पढ़ने की भी ङ्क्षचता है कि नहीं जब देखो मित्रों के साथ घूमते फिरते हो खाते पीते हो और इधर उधर की हाँकते हो क्या यही है तुम्हारी ज़दगी का लक्ष्य बेटे अभी भी समय है होश में आओ वरना पीछे पछताना पड़ेगा
24. जीवन कर्म क्या है सोचता हूँ तो एक ही उत्तर मिलता है युद्ध जीवन युद्ध है युद्ध से घबराना जीवन से बचना है पर कैसा युद्ध
25. नारद ने कहा कैसे भेजता चपरासी सो रहा है कल भेजूंगा
26. छी: चोरी करते हो क्या तम्हारे माता पिता और भाई ने यही सिखाया है
27. हाय बेचारा मर गया यदि वह अस्पताल जाता तो क्या बच न जाता
28. रमेश ने उत्तेजित होकर कहा मैं कुछ चाहता हूँ आप कुछ और मैं चाहता हूँ प्रार्थना करना आप चाहते हैं बाजा बजाना दोनों बातें एक साथ नहीं चल सकती
29. भारतवासी सोचने लगे अरे हमारी संस्कृति में ऐसी चीजें भी भरी पड़ी हैं क्या

9. निम्नलिखित में उचित स्थानों पर विराम-चिह्न लगाइए:
1. (क) लहरें आएँगी और जाएँगी ये लहरें विद्रोह क्यों नहीं कर देती इनसे अच्छी तो नदियाँ हैं
(ख) पर वह सागर जहाँ है वहीं है उसकी अपनी नियति है बेचारा सागर
(ग) वहाँ अनेक प्रकार की बेलें फैली हैं सेम लोबिया केंवाच लौकी आदि की
2. (क) माँ ने पूछा ये आम अमरूद और जामुन कहाँ से लाया
(ख) लड़का बोला ये कबूतर खरगोश और बंदर किसके हैं
3. देखो कौन आया है उसे कुर्सी सोफा या पलंग पर बिठाओ
4. आचार्य ने पूछा कि कौन सी कक्षा में रमेश नरेश और सुरेश को चोट आई है सुनकर वह चुपचाप मुस्कराता रहा उसने कोई उत्तर न दिया
5. हिमालय जैसे अटल अडिग भारतवासियों का मस्तक किसी के सामने झुकने वाला नहीं है कोई ऐसा उनसे लोहा लेने वाला हो तो बताओ
6. हमारे व्यवहार से ही जब कोई मित्र और शत्रु हो सकता है क्यों न अपने सद्व्यवहार से अपने पराए सभी को हम मित्र बनाएँ सही कहा न
7. बच्चो शोर क्यों मचा रहे हो कविता कहानी या नाटक याद करो
8. हाय मेरे भाग्य में यही लिखा था मैं कमल को नहीं पढ़ा पाया पर क्यों
9. महात्मा गांधी ने गाय करुणा की कविता है ऐसा क्यों कहा यह उसकी आँखें देखकर ही समझ में आ सकता है।
10. अरे मोहन तुम आ गए सौरभ अमन और भानु को कहाँ छोड़ आए
11. अरे कमल यहाँ क्यों खड़े हो घर जाकर खाना खाओ पढ़ाई करो और सो जाओ
12. वाह तुमने तो बाजी मार ली क्या इसी दिन के इंतज़ार में मकान दुकान और बैठक छोड़ बैठे थे
13. सुनो वह क्या हो रहा है अपनी पुस्तकों वस्त्रों और मकान की रक्षा करो
14. अरे मोहन यहाँ कब आए कमरे में बैठो नाश्ता करो और थोड़ा विश्राम कर लो
15. अच्छा यह वही व्यक्ति है जो तुमसे पूछ रहा था कि मेरी पत्नी मेरे बच्चे तथा मेरे घर का सामान कहाँ है
16. वाह बेटा तुमने तो कमाल कर दिया एक हाथ में ही कलम तलवार ले आए
17. सरोज ने कहा कैसे भेजती नौकरानी सो रही है कल भेजूंगी
18. अजी वाह आपने खूब कहा मैं मोहन और रमेश क्या लड़ेंगे
19. (क) आरिफ़ ने कहा सुनो मुझे तो गुड़िया ही चाहिए
(ख) नेता जी ने कहा बहनो और भाइयो हम आपकी सेवा में सदैव तत्पर रहेंगे
(ग) पिता ने कहा बेटे आज तुम्हें मेरे साथ पुस्तक मेला देखने जाना है तैयार हो जाओ
20. किसी ने कहा है जो दूसरों की सहायता करता है उसकी सहायता ईश्वर करता है
21. (क) दादाजी ने समझाया नहीं बेटे पूर्व हो या पश्चिम ईश्वर तो सर्वत्र रहता है
(ख) मित्र ने कहा देखो यार काली सी मूर्ति इधर ही आ रही है
(ग) चंद्रकांत ने कहा नहीं यह कैसे हो सकता है
22. (क) कवि ने कहा प्रिय मित्रो मेरी कविता सुनो समझो और आनंद लो
(ख) अशोक कौन सा शो देखने चलोगे दोपहर का शाम का या रात का
(ग) स्नेहा क्या तुम बता सकती हो कि कफ़न पूस की रात और नमक का दारोगा कहानियाँ किसने लिखीं
23. अध्यापक ने छात्र से कहा बहुत प्रसन्नता की बात है कि तुम परीक्षा में पास हो गए हो
24. अरे तुम यहीं हो तुम्हारी तो घर पर प्रतीक्षा हो रही है जल्दी पहुँचो शिक्षक ने छात्र से कहा
25. सच्चा मित्र वही है जो संकट के समय मित्र की मदद करता है ये महान व्यक्तियों के विचार हैं
26. आचार्य शुक्ल ने लिखा है श्रद्धा हमारी वह मनोवृत्ति है जो निष्ठा भक्ति विश्वास तीनों से युक्त होकर किसी पूज्य या बड़े की ओर उन्मुख होती है

चिह्न का प्रयोग कब किया जाता है?

6. योजक या विभाजक ( - ) 7. निर्देशक (डैश ) (-) 8. अवतरण या उद्धरण चिह्न ( " " ) 9.

दो शब्दों को जोड़ने के लिए कौन सा विराम चिह्न प्रयोग किया जाता है?

सही उत्तर 'योजक चिह्न (-)' है। दो शब्दों को जोड़ने के लिए प्रयुक्त विराम चिह्न 'योजक चिह्न (-)' कहलाता है। योजक चिह्न - व्याकरण में वह चिह्न (-) जो शब्दों, पदों, उपवाक्यों आदि को जोड़ता है, योजक चिन्ह कहलाता है।

विराम चिह्न में चिह्न का क्या अर्थ होता है?

विराम शब्द वि + रम् + घं से बना है और इसका मूल अर्थ है "ठहराव", "आराम" आदि के लिए। जिन सर्वसंमत चिन्हों द्वारा, अर्थ की स्पष्टता के लिए वाक्य को भिन्न भिन्न भागों में बाँटते हैं, व्याकरण या रचनाशास्त्र में उन्हें "विराम" कहते हैं।

विवरण चिह्न की सही पहचान क्या है?

विवरण चिन्ह[ :-] वाक्य में विवरण :- का प्रयोग सूचना, निर्देश या विवरण देने के लिए प्रयोग किया जाता है।