Show Post Viewership from Post Date to 01-Apr-2021 (5th day)
***Scroll down to the bottom of the page for above post viewership metric definitions कैसे भारतीय धर्मनिरपेक्षता पश्चिमि धर्मनिरपेक्षता से अलग है?मेरठ27-03-2021 10:43 AMआधुनिक राज्य: 1947 से अब तक वर्तमान में मनुष्य ने अत्यधिक उन्नति की है जिससे धर्म का परिक्षेत्र भी अछूता नहीं है। आज अनेक देशों में धार्मिक रूढ़िवादिता की वजह से विकास प्रभावित हो रहा है साथ ही साथ वैश्वीकरण एवं भूमंडलीकरण की वजह से विश्व सिमट कर रह गया है, तथा एक देश से दूसरे देशों में सांस्कृतिक एवं धार्मिक विभिन्नता में वृद्धि हुई है। ऐसे वातावरण में धार्मिक सहिष्णुता का पालन करना बहुत आवश्यक हो जाता है। यदि कोई देश किसी धर्म विशेष को संरक्षण प्रदान करेगा तो धार्मिक असहिष्णुता का वातावरण
उपस्थित होगा ही, जिस कारण देश का विकास बाधित हो सकता है, और विभिन्न धर्मों के बीच टकराव उत्पन्न हो सकता है। उपरोक्त परिस्थितियों से बचने के लिये सेक्युलरिज्म (secularism) या धर्म-निरपेक्षता एक आदर्श राजनीतिक सिद्धान्त है। यह एक ऐसा सिद्धांत है जो व्यक्ति की आज़ादी के सिद्धांत से उत्पन्न हुआ है। राज्य और धर्म के बीच किसी प्रकार का संबंध न होना ही धर्म-निरपेक्षता की सामान्य परिभाषा स्वीकार की जाती है। किसी भी धर्म पर आधारित न होना ही धर्म निरपेक्षता है। धर्मनिरपेक्ष राज्य में सभी धर्म एक समान समझे
जाते हैं और भारत एक धर्म निरपेक्ष राज्य है। 42वें संविधान संशोधन 1976 के द्वारा भारतीय संविधान की प्रस्तावना में संशोधन करके धर्मनिरपेक्ष शब्द जोड़ा गया है। भारत की धर्मनिरपेक्षता पाश्चात्य (Western) देशों में लागू धर्म-निरपेक्षता से अलग है। इसलिए हम यहाँ पर धर्म-निरपेक्षता की दोनों अवधारणाओं को समझने की कोशिश करेंगे और दोनों के बीच क्या अंतर है वो जानेंगे। ***Definitions of the post viewership metrics on top of the page: A. City Subscribers (FB + App) -This is the Total city-based unique subscribers from the Prarang Hindi FB page and the Prarang App who reached this specific post. Do note that any Prarang subscribers who visited this post from outside (Pin-Code range) the city OR did not login to their Facebook account during this time, are NOT included in this total. B. Website (Google + Direct) -This is the Total viewership of readers who reached this post directly through their browsers and via Google search. C. Total Viewership —This is the Sum of all Subscribers(FB+App), Website(Google+Direct), Email and Instagram who reached this Prarang post/page. D. The Reach (Viewership)on the post is updated either on the 6th dayfrom the day of posting or on the completion ( Day 31 or 32) of One Monthfrom the day of posting. The numbers displayed are indicative of the cumulative count of each metric at the end of or a FULL MONTH, from the day of Posting to respective hyper-local Prarang subscribers, in the city.
धर्मनिरपेक्षता की पश्चिमी धारणा क्या है?यह भी कहा जा सकता है कि ये सारे उदाहरण अंतर-धार्मिक वर्चस्व और एक धार्मिक समुदाय द्वारा दूसरे समुदायों के उत्पीड़न के मामले हैं। धर्मनिरपेक्षता को सर्वप्रथम और सर्वप्रमुख रूप से ऐसा सिद्धांत समझा जाना चाहिए जो अंतर-धार्मिक वर्चस्व का विरोध करता है।
धर्मनिरपेक्षता से संबंधित मुख्य मॉडल कितने हैं?धर्मनिरपेक्षता के मूलत: दो प्रस्ताव है 1) राज्य के संचालन एवं नीति-निर्धारण में धर्म का हस्तक्षेप नहीं होना चाहिए। 2) सभी धर्म के लोग कानून, संविधान एवं सरकारी नीति के आगे समान है।
धर्मनिरपेक्षता के पश्चिमी पहलू का जन्म कहाँ हुआ?रूस ने समाजवादी विचारधारा का यदि सफल प्रयोग करने का प्रयास किया तो भारत में सेक्युलर सिद्धांत का अभिनव प्रयोग किया जा रहा है। श्री ओक ने सन् 1860 में कहा था लौकिकवाद न तो धर्मशास्त्र की उपेक्षा करता है और न उसकी स्तुति करता है और न उसे अस्वीकार करता है।
भारतीय धर्मनिरपेक्षता पश्चिमी धर्मनिरपेक्षता से अलग क्यों है?भारत में धर्मनिरपेक्षता पश्चिम में धर्मनिरपेक्षता से काफी अलग है। यह केवल चर्च-राज्य अलगाव से संबंधित नहीं है, और अंतर-धार्मिक समानता की अवधारणा भारतीय दृष्टि के केंद्र में है। भारत में पहले से ही अंतर-धार्मिक 'सहिष्णुता' की संस्कृति थी। सहिष्णुता और धार्मिक प्रभुत्व परस्पर अनन्य हैं।
|