भोलानाथ के पिता भोलानाथ को पूजा-पाठ में शामिल करते, उसे गंगा तट पर ले जाते तथा लौटते हुए पेड़ की डाल पर झुलाते। उनका ऐसा करना किन-किन मूल्यों को उभारने में सहायक है? Show भोलानाथ के पिता उसको अपने साथ पूजा पर बैठाते। पूजा के बाद आटे की गोलियाँ लिए हुए गंगातट जाते। मछलियों को आटे की गोलियाँ खिलाते, वहाँ से लौटते हुए उसे पेड़ की झुकी डाल पर झुलाते। उनके इस कार्यव्यवहार से भोलानाथ में कई मानवीय मूल्यों का उदय एवं विकास होगा। ये मानवीय मूल्य हैं-
Concept: गद्य (Prose) (Class 10 A) Is there an error in this question or solution? प्रश्न 1. ‘माता का आँचल’ पाठ के आधार पर भोलानाथ के बाबू जी के पूजा-पाठ की रीति पर टिप्पणी कीजिये। आप इससे क्या प्रेरणा ग्रहण करते हैं। प्रश्न 2. सबेरे ‘बाबूजी’ किस ग्रंथ का पाठ किया करते थे और उस समय भोलानाथ कहाँ बैठते थे और क्या किया करते थे? बाबूजी की इस दिनचर्या से हमें क्या प्रेरणा मिलती है? ”माता का आँचल“ पाठ के आधार पर लिखिए। प्रश्न 3. ‘माता का आँचल’ पाठ के आधार पर भोलानाथ और उसके पिता के सम्बन्धों का विश्लेषण करते हुए पिता-पुत्र सम्बन्धों के महत्व पर प्रकाश डालिए। प्रश्न 4. ‘माता का आँचल’ के आधार पर लेखक के पिताजी की विशेषताएँ लिखिए। प्रश्न 5. ”जब खाएगा बड़े-बड़े कौर तब पाएगा दुनिया में ठौर“ पंक्ति
के कथन का संदर्भ लिखकर बताइए कि ”माता का आँचल“ पाठ में वर्णन माता अपने पुत्र को किस भाव से खिलाती थीं और इससे क्या शिक्षा ग्रहण करते हैं? प्रश्न 6. ‘माता का आँचल’ पाठ में लेखक द्वारा पिता के संग खेलने तथा माता के संग भोजन करने का वर्णन कीजिए। प्रश्न 7. ‘माता का आँचल’ पाठ के आधार पर लिखिये कि माँ बच्चे को ‘कन्हैया’ का रूप देने के लिये किन-किन चीजों से सजाती थीं ? इससे उनकी किस भावना का बोध होता है? आपकी राय से बच्चों का क्या कर्तव्य होना चाहिए ? प्रश्न 8. भोलानाथ बचपन में कैसे-कैसे नाटक खेला करता था ? इससे उसका कैसा व्यक्तित्व उभरकर आता है ? प्रश्न 9. आपको बच्चों का कौन-सा खेल पसन्द नहीं आया और क्यों ? प्रश्न 10. ‘माता का आँचल’ पाठ में लड़कों की मंडली जुटकर विवाह की क्या-क्या तैयारियाँ करती थी ?उत्तरः लड़कों की मंडली बारात का भी जुलूस निकालती थी। कनस्तर का तंबूरा बनाकर बजाते, अमोले को घिसते जो शहनाई का काम करती और बड़े मजे के साथ बजाई जाती, टूटी हुई चूहेदानी से पालकी बनाई जाती थी और बच्चे समधी बनकर बकरे पर चढ़ लेते थे और बारात चबूतरे के एक कोने से चलकर दूसरे कोने में जाकर दरवाजे लगती थी। वहाँ काठ की पटरियों से घिरे, गोबर से लिपे, आम और केले की टहनियों से सजाए हुए छोटे आँगन में कुल्हड़ का कलसा रखा रहता था। वहीं पहुँचकर बारात फिर लौट आती थी। लौटने के समय खटोली पर लाल पर्दा डालकर, उसमें दुल्हन को चढ़ा लिया जाता था। बाबूजी दुल्हन का मुँह देखते तो सब बच्चे हँस पढ़ते। प्रश्न 11. ‘‘माता का आँचल’’ पाठ में वर्णित मूसन तिवारी कौन थे? उनके साथ बाल-मंडली ने शरारत क्यों की थी और उसका क्या परिणाम हुआ? इस घटना से आपको क्या शिक्षा मिलती है ? प्रश्न 12. ‘माता का
आँचल’ पाठ में आए ऐसे प्रसंगों का उल्लेख कीजिए जो आपके दिल को छू गए हों।उत्तरः पाठ में आए ऐसे प्रसंग जो दिल को छू गए हैं, निम्नलिखित हैं- प्रश्न 13. आपके विचार से भोलानाथ अपने साथियों को देखकर सिसकना क्यों भूल जाता है ?उत्तरः भोलानाथ अपने साथियों को देखकर सिसकना इसलिए भूल जाता है, क्योंकि- प्रश्न 14. ‘माता का आँचल’ पाठ में बच्चे को अपने पिता से अधिक जुड़ाव था, फिर भी विपदा के समय वह पिता के पास न जाकर माँ की शरण लेता है। आपकी समझ से इसकी क्या वजह हो सकती है ? भोलानाथ के पिता का आटे की गोलियां बनाने का क्या उद्देश्य था?अपनी एक रामनाम बही पर हजार बार राम-नाम लिखकर वह उसे पाठ करने की पोथी के साथ बाँधकर रख देते। फिर पाँच सौ बार कागज के छोटे-छोटे टुकड़ों पर राम नाम लिखकर आटे की गोलियों में लपेटते और उन गोलियों को लेकर गंगा में मछलियों को खिलाने लगते। इससे हमें यह प्रेरणा मिलती है कि हमें सभी जीवों पर दया दिखानी चाहिये।
भोलेनाथ के पिता आटे की कितनी गोलियां प्रभावित करते थे?पाँच सौ बार कागज़ के छोटे-छोटे टुकड़ों पर राम-नाम लिखकर आटे की गोलियों में लपेटते और उन गोलियों को लेकर गंगा जी की ओर चल पड़ते थे। उस समय भी हम उनके कंधे पर विराजमान रहते थे। जब वह गंगा में एक - एक आटे की गोलियाँ फेंककर मछलियों को खिलाने लगते तब भी हम उनके कंधे पर ही बैठे-बैठे हँसा करते थे।
भोलेनाथ का असली नाम क्या है?'माता का आँचल' पाठ में भोलेनाथ का वास्तविक नाम तारकेश्वर नाथ था, लेकिन उनको सब भोलेनाथ कहकर पुकारते थे। उनका भोलेनाथ नाम इसलिए पड़ा क्योंकि भोलेनाथ के पिता उन्हें बचपन में सुबह नहला-धुला कर अपने साथ पूजा-पाठ करते समय बैठा लेते थे।
भोला की माँ पिता के खाना खिलाने के बाद भी क्यों और कैसे खिलाती थीं?भोलानाथ का अपने पिता से अपार स्नेह था पर जब उस पर विपदा आई तो उसे जो शांति व प्रेम की छाया अपनी माँ की गोद में जाकर मिली वह शायद उसे पिता से प्राप्त नहीं हो पाती। माँ के आँचल में बच्चा स्वयं को सुरक्षित महसूस करता है। लेखक ने इसलिए पिता पुत्र के प्रेम को दर्शाते हुए भी इस कहानी का नाम माँ का आँचल रखा है।
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