Show चमड़ी में जलन पैदा करता है ये रोगमनुष्य की त्वचा उसके शरीर का सबसे विस्तृत व महत्वपूर्ण अंग है।इसका संबंध हमारे यकृत और मस्तिष्क से भी है।यह एक जटिल अंग है.... मनुष्य की त्वचा उसके शरीर का सबसे विस्तृत व महत्वपूर्ण अंग है।इसका संबंध हमारे यकृत और मस्तिष्क से भी है।यह एक जटिल अंग है जिसके भीतर नाडिय़ां, रक्तवाहिनी नलिकाएं, ग्रंथियां, कोशिकाएं एवं चर्बी आदि सब छिपी रहती हैं।ये शरीर को ढंकने वाली वाटरप्रूफ या गैसप्रूफ परतें हैं जो भीतरी अंगों की रक्षा करती हैं तथा हरदम बाहरी वातावरण के प्रभाव को रोकती हैं। त्वचा सूर्य की प्रखर किरणों से शरीर की रक्षा करती है। सूर्य की गर्मी से शरीर के भीतर विटामिन डी का निर्माण त्वचा द्वारा होता है।चर्म रोगों से शरीर में काफी जलन पैदा होती है। चमड़े की जलन को डार्माडिरिस कहा जाता है। चर्म रोगों की उत्पत्ति का कारण मुख्य रूप से शरीर के भीतर विषैले पदार्थों का जमा होना है। कुछ चर्म रोगों की उत्पत्ति विषैले पदार्थ, पारा, आयोडीन, पोटाशियम, टीका वगैरह दवाइयों के कारण होती है। इन्हीं के कारण चमड़ी में जलन पाई जाती है। चर्म रोग विशेषज्ञ रोगियों से चर्म रोगों में साबुन से स्नान करवाते हैं, जिसके कारण रोगियों की तकलीफ और बढ़ जाती है। चर्म रोगों में सफाई रखना आवश्यक है। साधारण गर्म पानी से स्नान करना बड़ा उपयोगी होता है। ठीक से स्नान करने से ही बहुत से चर्म रोग नष्ट हो जाते हैं।चर्म रोगों के रोगी अक्सर अधिक खाने के आदी होते हैं।भोजन में स्टार्च व शूगर चर्म रोग को बढ़ाते हैं। साथ ही हर प्रकार की बदहजमी से बचना चाहिए। भोजन में एक साथ स्टार्च व प्रोटीन नहीं लेना चाहिए।सोरायसिस की पहचान छोटे-छोटे दागों से होती है।शरीर की सतह से वे कुछ ऊंचे उठे हुए होते हैं और त्वचा की परतों से ढंके रहते हैं।खास कर गर्मी के दिनों में यह बीमारी अधिक होती है। इससे चमड़ी मोटी व लाल हो जाती है तथा वहां जलन व दर्द भी होने लगता है।गर्मी में यह ठीक हो जाता है तथा जाड़े में यह रोग फिर फैल जाता है।एक बार अच्छा हो जाने के बाद भी इस रोग के दोबारा हो जाने का भय बना रहता है।इस रोग से पूर्णतया मुक्त होने में काफी लम्बा समय लग जाता है। भोजन में जरा-सी भी बदपरहेजी करने से रोग दोबारा आक्रमण कर सकता है, इसलिए चर्म रोग से ग्रसित रोगी को उचित खाद्य पदार्थों का चुनाव करना चाहिए। चाय, काफी वगैरह से भी परहेज करना उचित होगा। रोग के दोबारा प्रकट होने पर समय-समय पर छोटे उपवास करना आवश्यक है। रोग के दौरान उपवास करने से आराम मिलता है। — लक्ष्मी प्रसाद पंत
BTC$ 16838.68 Thu, Jan 05, 2023 04.34 AM UTC ETH$ 1254.01 Thu, Jan 05, 2023 04.34 AM UTC USDT$ 1 Thu, Jan 05, 2023 04.34 AM UTC
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डायबिटिज की समस्या के शिकार लोगों में पैरों के जलन की समस्या होना काफी आम माना जाता है। वर्षों से अनियंत्रित हाई ब्लड शुगर धीरे-धीरे आपकी रक्त वाहिकाओं और तंत्रिकाओं को नुकसान पहुंचाने लगती है।
स्किन पर जलन हो तो क्या करें?त्वचा की जलन को कम करने में एलोवेरा भी काफी काम आता है। आप या तो एलोवेरा जेल को सीधे स्किन पर लगा सकती हैं, या तो इसमें थोड़ा गुलाब जल मिलाकर भी लगा सकती हैं। गुलाब जल और एलोवेरा जेल को मिलाकर पेस्ट तैयार करें और आइस-ट्रे में इसे रखकर फ्रीज़ कर लें। जब बर्फ जम जाए, तो इसे अपनी त्वचा पर रगड़कर मसाज करें।
त्वचा में जलन क्यों होती है?आमतौर पर स्वेलिंग या जलन की वजह से स्किन के नीचे के सेल्स तक ब्लड न पहुंच पाने के कारण चेहरे पर लाल रंग का निशान पड़ जाता है. कई बार ज्यादा केमिकल वाले कॉस्मेटिक प्रोडक्ट्स लगाने के कारण भी फेस पर रैशेज, पिंपल या इचिंग होने लगती है. ये स्किन एलर्जी के निशान कई बार लंबे समय तक चेहरे पर बने रहते हैं.
हाथ पैर में जलन होने का क्या कारण है?वैसे तो पैर के तलवों में जलन के कई कारण होते हैं, जैसे यूरिक एसिड का बढ़ जाना, कैल्शियम या विटामिन बी की कमी. कई बार ये मौसम की वजह से या डायबिटीज के कारण भी होता है. डॉक्टरी भाषा में इसे बर्निंग फीट सिंड्रोम (Burning Feet Syndrome) कहा जाता है.
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