हिन्दू विवाहित महिलाओं का पृथक निवास एवं भरण-पोषण अधिनियम कब पारित हुआ - hindoo vivaahit mahilaon ka prthak nivaas evan bharan-poshan adhiniyam kab paarit hua

Can the husband remarry after giving maintenance to his wife

हिन्दू दत्तक ग्रहण एवं भरण पोषण अधिनियम, 1956 का अध्याय-3 की धारा 18 एवं दण्ड प्रक्रिया संहिता की धारा 125 भरण पोषण के अधिकार को एक विधिक अधिकार मानती है। अगर किसी महिला को दत्तक ग्रहण एवं भरण पोषण अधिनियम की धारा 18 के अंतर्गत भरण पोषण मिलता है तो वह दण्ड प्रक्रिया संहिता की धारा 125 के अंतर्गत भरण पोषण की हकदार नहीं होगी। सवाल यह है कि किसी महिला को पति द्वारा भरण पोषण दिया जा रहा है तब क्या इस आदेश के बाद पति अपनी पत्नी से तलाक ले सकता है जानते हैं इसका जबाब।

हिन्दू विवाह अधिनियम, 1955 की धारा 14(2) (iii) जो संशोधन अधिनियम, 1976 का तलाक का चौदह आधार है:-

अगर कोई पत्नी भरण पोषण अधिनियम या दण्ड प्रक्रिया संहिता की धारा 125 के अंतर्गत अपने पति से भरण पोषण के लिए आदेश प्राप्त कर लेती है और इस आदेश के बाद पत्नी अपने पति से अलग रहती है। ऐसे आदेश या डिक्री के पारित होने के एक साल के भीतर यदि दोनों पक्षों में पुनरारंभ सहवास नहीं होता है तो यह तलाक का एक आधार होगा।

पत्नी को कब तक भरण पोषण देना होगा

अर्थात न्यायालय भरण पोषण का आदेश इसलिए भी देता है कि पति पत्नी कुछ समय अलग-अलग रहने के बाद एक-दूसरे की जिम्मेदारी समझ सके। लेकिन पति भरण पोषण के आदेश का लाभ उठकर पत्नी को तलाक देता है उसके बाद भी उसे पत्नी को उसे तब तक भरण पोषण देना होगा जब तक पत्नी पुनर्विवाह नहीं कर लेती।

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भारतीय विवाह विच्छेद अधिनियम कब पारित हुआ?

हिन्दू विवाह अधिनियम भारत की संसद द्वारा सन् १९५५ में पारित एक कानून है। इसी कालावधि में तीन अन्य महत्वपूर्ण कानून पारित हुए : हिन्दू उत्तराधिका अधिनियम (1955), हिन्दू अल्पसंख्यक तथा अभिभावक अधिनियम (1956) और हिन्दू एडॉप्शन और भरणपोषण अधिनियम (1956).

हिंदू विवाह अधिनियम 1955 के तहत मान्य विवाह शर्त क्या है?

विवाह के समय वर और वधू की कानूनी आयु यह शर्त क्रमशः वर और वधू के लिए विवाह की कानूनी आयु 18 वर्ष और 21 वर्ष अनिवार्य करती है। इस शर्त के उल्लंघन के परिणाम को इस कानून के तहत स्पष्टीकरण के साथ प्रदान नहीं किया गया है। ऐसे में मद्रास उच्च न्यायालय द्वारा वी.

माता पिता और वरिष्ठ नागरिक भरण पोषण कल्याण अधिनियम कब पारित किया गया था?

1875 का प्र Page 3 1860 का 21 3 (3) अपने माता-पिता का भरणपोषण करने की बालक को बाध्यता, यथास्थिति, ऐसे माता-पिता अथवा पिता या माता या दोनों की आवश्यकता तक विस्तारित होती है, जिससे कि ऐसे माता-पिता, सामान्य जीवन व्यतीत कर सकें।

धारा 125 के अंतर्गत क्या आता है?

सीआरपीसी की धारा 125 (CrPC Section 125) (ख) पत्नी के अंतर्गत ऐसी स्त्री भी है जिसके पति ने उससे विवाह-विच्छेद कर लिया है या जिसने अपने पति से विवाहविच्छेद कर लिया है और जिसने पुनर्विवाह नहीं किया है. (2) भरणपोषण या अंतरिम भरणपोषण के लिए ऐसा कोई भत्ता और कार्यवाही के लिए व्यय, आदेश की तारीख से.