The main twelfth of the twenty-Shruti are called swaras. The names of these swaras are Shadj, Rishabh, Gandhar, Madhyam, Pancham, Dhaiwat and Nishad. Say it in simple way Sa Re Ga Ma Pa Dha and Ni Show Swaras are of two types, Suddh swar and Vikrit swar. Suddh SwarSeven swaras from twelve swaras are called suddh vowels. It is placed in a fixed place in the octave. Their names are Sa Re Ga Ma Pa Dha and Ni. Vikrit SwarThere are five such swara in seven swaras that are suddh and vikrit too. They slip off or climb from their place. There are two types of Vikrit swar, Komal Vikrit Swar and Tivra Vikrit Swar. Komal SwarWhen a swar is down from its place, it is called a Komal Vikrit Swar. The four tones are tender; re ga dha and ni. Tivra SwarWhen a swar is above its location, it is called a Tibra Vikrit Swar. There is only one swar that is Tivra. Only ma is tivra swar.
बाईस श्रुतियों में से मुख्य बारह श्रुतियों को स्वर कहते हैं। इन स्वरों के नाम हैं, षडज, ऋषभ, गंधार, मध्यम, पंचम, धैवत और निषाद। इसे साधारण तरीके से कहें तो सा रे ग म प ध नि । स्वर दो प्रकार के होते हैं, शुद्ध और विकृत। शुद्ध स्वरबारह स्वरों में से सात स्वरों को शुद्ध स्वर कहा जाता है। इसे सप्तक में एक निश्चित स्थान पर रखा गया है। इनके नाम हैं सा रे ग म प ध और नि । विकृत स्वरसात स्वरों में पाँच ऐसे स्वर हैं जो शुद्ध भी हैं और विकृत भी। ये अपने स्थान से थोड़ा उतर जाते हैं या चढ़ जाते हैं। विकृत स्वर भी दो प्रकार के होते हैं, कोमल विकृत स्वर और तीव्र विकृत स्वर। कोमल स्वरजब कोई स्वर अपने स्थान से नीचे होता है उसे कोमल विकृत स्वर कहते हैं। चार स्वर कोमल होते हैं, रेे ग ध और नि । तीव्र स्वरजब कोई स्वर अपने स्थान से ऊपर होता है तो उसे तीव्र विकृत स्वर कहते हैं। सिर्फ एक स्वर ऐसा है जो तीव्र विकृत होता है। म तीव्र विकृत होता है। जो कान को मधुर लगती है तथा चित्त को प्रसन्न करती है। इस ध्वनि को संगीत की भाषा में ‘‘नाद’’ कहते हैं। इस आधार पर संगीत मे उपयोगी नाद को स्वर कहते है। संगीत में स्वर किसे कहते हैंसंगीत में वह शब्द जिसका कोई निश्चित रूप हो और जिसकी कोमलता या तीव्रता अथवा उतारचढाव आदि का सुनते ही सहज अनुमान हो सकें स्वर कहलाता है। भारतीय संगीत में स्वर की संख्या सात है -
स्वर की परिभाषापं0 ओंकारनाथ ने स्वर की परिभाषा इस प्रकार दी है - ‘‘वह नाद जो किसी प्रकार के आघात से उत्पन्न होता है, जो रंजक हो, जो कान को मधुर लगती है सुख देने वाला हो, जो निश्चित श्रुति स्थान पर रहते हुए भी अपनी जगह स ऊपर या नीचे हटने पर विकृत होता है, और आत्मा की सुख-दःख आदि संवेदनाओं को अभिव्यक्त करने में सहायक हो, उसे ‘स्वर’ कहते है‘‘। संगीत में स्वर के प्रकारसंगीत में स्वर मुख्य स्वर सात होते हैं - षडज(सा), ऋषभ (रे), गन्धार (ग), मध्यम (म), पंचम (प), धैवत (ध), निषाद (नी) स्वरों के मुख्य दो प्रकार माने जाते हैं।
2. विकृत स्वर - 5 स्वर ऐसे होते हैं जो शुद्ध तो होते हैं साथ ही साथ विकृत भी होते हैं। जो स्वर अपने निश्चित स्थान से थोड़ा चढे़ अथवा उतरे हुए होते हैं, वे ‘विकृत स्वर’ कहलाते हैं। विकृत स्वर के भी दो प्रकार होते हैं - क) कोमल विकृत ख) तीव्र विकृत जब कोई स्वर अपने निश्चित स्थान (शुद्धावस्था) से नीचा होता है तो उसे ‘कोमल विकृत’ कहतें हैं और जब कोई निश्चित स्थान से ऊपर होता है तो उसे ‘तीव्र विकृत’ कहते हैं। सप्तक में षड़ज और पंचम के अतिरिक्त शेष स्वर जैसे रे, ग, ध, नि स्वर कोमल विकृत तथा म तीव्र विकृत होता है। एक सप्तक में 7 शुद्ध, 4 कोमल और 1 तीव्र स्वर, कुल मिलाकर 12 स्वर होते हैं। इनका क्रम इस प्रकार है:- स, रे, रे, ग, ग, म, म, प, ध, ध, नी, नि, सां
स्वरों को एक और दृष्टिकोण से विभाजित किया गया है -
1. चल स्वर - वे स्वर जो शुद्ध होने के साथ-साथ विकृत (कोमल अथवा तीव्र) भी होते है उन्हे चल स्वर कहते हैं। जैसे रे ,ग ध, नी कोमल और म तीव्र। 2. अचल स्वर - जो स्वर सदैव शुद्ध होते हैं, विकृत कभी नहीं होते, अचल स्वर कहलाते हैं। जैसे - सा (षड़ज) और प (पंचम)। निषाद स्वर हेतु जगती छन्द का निर्देश है। जगती छन्द पाप नाश हेतु होता है। निषाद स्वर का वार शनिवार कहा गया है। शतपथ ब्राह्मण ४.६.८.१-२ का कथन है – या वै दीक्षा सा निषत्, तत् सत्रम्। शतपथ ब्राह्मण ५.४.४.५ तथा १२.८.३.१० में वाजसनेयि माध्यन्दिन संहिता १०.२७ व २०.२ में प्रकट हुई निम्नलिखित यजु की व्याख्या की गई है- संगीत में शुद्ध स्वर कितने होते हैं?इस प्रकार ये सात शुद्ध स्वर हुए। भरत ने इनके अतिरिक्त दो साधारण स्वर - अन्तर गान्धार तथा काकली निषाद भी कहे हैं। आधुनिक ग्रन्थकारों के अनुसार सात शुद्ध स्वरों के अतिरिक्त विकृत स्वरों की संख्या पाँच निश्चित की गई है।
सरगम में कितने स्वर होते हैं?संगीत के मुख्य सात सुर होते हैं जिनके नाम षडज्, ऋषभ, गांधार, मध्यम, पंचम, धैवत और निषाद हैं। साधारण बोलचाल में इन्हें सा, रे, ग, म, प, ध तथा नि कहा जाता है। स्पष्ट है कि प्रथम चार सुरों के बिना मात्रा वाले अक्षरों को लेकर सरगम नाम बनाया गया है।
हिंदुस्तानी संगीत में कितने शुद्ध और विकृत स्वर होते हैं?Detailed Solution. सही उत्तर 12 है।
मूल स्वर की संख्या कितनी है?ये चार हैं- अ, इ, उ, ऋ। इन्हें मूल स्वर भी कहते हैं। दीर्घ स्वर - जिन स्वरों के उच्चारण में ह्रस्व स्वरों से दुगुना समय लगता है उन्हें दीर्घ स्वर कहते हैं।
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