सूर्योदय से पूर्व आकाश में क्या क्या परिवर्तन होता है? - sooryoday se poorv aakaash mein kya kya parivartan hota hai?

सूर्योदय से पहले आकाश का रंग शंख जैसा नीला था, उसके बाद आकाश राख से लीपे चौके जैसा हो गया। सुबह की नमी के कारण वह गीला प्रतीत होता है। सूर्य की प्रारंभिक किरणों से आकाश ऐसा लगा मानो काली सिल पर थोड़ा लाल केसर डालकर उसे धो दिया गया हो या फिर काली स्लेट पर लाल खड़िया मिट्टी मल दी गई हो। सूर्योदय के समय सूर्य का प्रतिबिंब ऐसा लगता है जैसे नीले स्वच्छ जल में किसी गोरी युवती का प्रतिबिंब झिलमिला रहा हो।

2. ‘उषा’ कविता के आधार पर उस जादू को स्पष्ट कीजिए जो सूर्योदय के साथ टूट जाता है। [CBSE (Outside), 2009, 2010]

उत्तर- सूर्योदय से पूर्व उषा का दृश्य अत्यंत आकर्षक होता है। भोर के समय सूर्य की किरणें जादू के समान लगती हैं। इस समय आकाश का सौंदर्य क्षण-क्षण में परिवर्तित होता रहता है। यह उषा का जादू है। नीले आकाश का शंख-सा पवित्र होना, काली सिल पर केसर डालकर धोना, काली स्लेट पर लाल खड़िया मल देना, नीले जल में गोरी नायिका का झिलमिलाता प्रतिबिंब आदि दृश्य उषा के जादू के समान लगते हैं। सूर्योदय होने के साथ ही ये दृश्य समाप्त हो ज़ाते हैं।

3. ‘स्लेट पर या लाल खड़िया चाक मल दी हो किसी ने।‘ -इसका आशय स्पष्ट कीजिए।

उत्तर- कवि कहता है कि सुबह के समय अँधेरा होने के कारण आकाश स्लेट के समान लगता है। उस समय सूर्य की लालिमा-युक्त किरणों से ऐसा लगता है जैसे किसी ने काली स्लेट पर लाल खड़िया मिट्टी मल दिया हो। कवि आकाश में उभरे लाल-लाल धब्बों के बारे में बताना चाहता है।

4. भोर के नभ को 'राख से लीपा गीला चौका ‘ की संज्ञा दी गई है। क्यों ?

उत्तर- कवि कहता है कि भोर के समय ओस के कारण आकाश नमीयुक्त व धुंधला होता है। राख से लिपा हुआ चौका भी मटमैले रंग का होता है। दोनों का रंग लगभग एक जैसा होने के कारण कवि ने भोर के नभ को ‘राख से लीपा, गीला चौका’ की संज्ञा दी है। दूसरे, चौके को लीपे जाने से वह स्वच्छ हो जाता है। इसी तरह भोर का नभ भी पवित्र होता है।

5‘उषा’ कविता में प्रातःकालीन आकाश की पवित्रता, निर्मलता व उज्ज्वलता से संबंधित पंक्तियों को बताइए।

उत्तर- पवित्रता- राख से लीपा हुआ चौका।

निर्मलता- बहुत काली सिल जरा से केसर से/कि जैसे धुल गई हो।

उज्ज्वलता- नीले जल में या किसी की

गौर झिलमिल देह

जैसे हिल रही हो।


6. सिल और स्लेट का उदाहारण देकर कवि ने आकाश के रंग के बारे में क्या कहा है ?

उत्तर- कवि ने सिल और स्लेट के रंग की समानता आकाश के रंग से की है। भोर के समय आकाश का रंग गहरा नीला-काला होता है और उसमें थोड़ी-थोड़ी सूर्योदय की लालिमा मिली हुई होती है।

7. ‘उषा’ कविता में भोर के नभ की तुलना किससे की गई हैं और क्यों? [CBSE (Delhi), 2015]

उत्तर- ‘उषा’ कविता में प्रात:कालीन नभ की तुलना राख से लीपे गए गीले चौके से की गई है। इस समय आकाश नम एवं धुंधला होता है। इसका रंग राख से लिपे चूल्हे जैसा मटमैला होता है। जिस प्रकार चूल्हा-चौका सूखकर साफ़ हो जाता है उसी प्रकार कुछ देर बाद आकाश भी स्वच्छ एवं निर्मल हो जाता है।

किसी स्थान पर अंधेरी रात बीत जाने के पश्चात जब सूर्य निकलता है तो वह लाल रंग का दिखाई देता है। लाल सूर्य की लालिमा आकाश में स्पष्ट दिखाई देती है। यह हर किसी को अपनी ओर आकर्षित करती है। इसे देखते ही पंछी चहचहाना शुरू कर देते हैं। उनके चहचहाने से ही अन्य जीवों को सवेरा होने का संकेत मिलता है। हम मनुष्य भी इन पंछियों के चहचहाने से ही समझ जाते हैं कि सवेरा हो चुका है।



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सूर्योदय का दृश्य इतना सुन्दर और मनमोहक होता है कि इसे केवल देखते रहने का मन करता है। मनुष्य क्षण भर के लिए अपनी सारी दुख परेशानियां भूल जाता है। सूर्योदय से उसके अंदर नई ऊर्जा का संचार होता है जिससे मन अत्यंत प्रसन्न हो जाता है।


सूर्योदय से पूर्व आकाश में क्या क्या परिवर्तन होता है? - sooryoday se poorv aakaash mein kya kya parivartan hota hai?
सूर्योदय का दृश्य हिंदी निबंध / Essay on Sunrise in Hindi


सूर्योदय के समय वायु शुद्ध होने के कारण लोग बाग बगीचों की सैर के लिए निकल पड़ते हैं। इसके अलावा कुछ लोग प्रतिदिन सूर्योदय के समय बाग बगीचों में सिर्फ सैर करने के स्थान पर योग, प्राणायाम और कसरत भी करते हैं। बच्चे भी सुबह-सुबह खेल खेलने जाते हैं। इस समय बच्चे क्रिकेट, वॉलीबॉल, बैडमिंटन, फुटबॉल आदि खेल खेलते हैं।


कुछ लोग इसी समय भजन सुनना पसंद करते हैं जिससे उन्हें अपने दैनिक कार्य करने की ऊर्जा प्राप्त हो सके। भजन में गायत्री मंत्र का जाप सुनना बहुत अधिक लोग पसंद करते हैं।




सूर्योदय का समय पेड़ों के लिए भी बहुत लाभदायक होता है क्योंकि इसी समय पेड़ सूर्य की किरणों की सहायता से अपना भोजन बनाते हैं। सूर्योदय के समय ही फूल खिल उठते हैं और उन पर गिरी हुई ओस की बूंदे उनके रूप को और बढ़ा देती है। 


सूर्योदय हर प्राणी के लिए लाभदायक होता है। पंछी, पेड़, मनुष्य या अन्य प्राणी सभी के दिन का प्रारंभ सूर्योदय के साथ ही होती है। सूर्योदय के समय सूर्य अपनी लालिमा से प्रकृति के सौंदर्य को अलंकृत कर देता है।