राजस्थान में 1857 की क्रांति :- ❖ AGGमुख्यालय(Agent to government general) जॉर्ज पेट्रिक लॉरेंस :– 1. 1857 की क्रांति के समय राजस्थान का AGG था यह पहले मेवाड़ का पॉलिटिकल एजेंट था। 2. जेम्स टॉड मेवाड़ का पहला पॉलिटिकल एजेंट था । अंग्रेजों की सैनिक छावनियां:– 1.नसीराबाद(अजमेर), 2. नीमच(MP) 3. देवली, 4. एरिनपुरा (पाली) 5. ब्यावर (अजमेर), 6.खेरवाड़ा (उदयपुर) नोट्स – प्रथम चारो में क्रांति हुई और लास्ट दोनों में नही हुई। ❖ नसीराबाद में क्रांति :- 28 मई 1857 1. 15 वी नेटिव इंफैक्ट्री द्वारा क्रांति की शुरुआत। 2. 30 वी नेटिव इंफैक्ट्री ने भी समर्थन किया। 3. सारे क्रांतिकारी दिल्ली चले गए। ❖ नीमच में क्रांति :-3 जून 1857 1. मोहम्मद अली बैग सैनिक ने कर्नल एवार्ट के सामने वफादारी की प्रतिज्ञा करने से मना कर दिया। 2. क्रांति का नेता – हीरा सिंह । 3. शाहपुरा के राजा उम्मेद सिंह ने क्रांतिकारियों का समर्थन किया। 4. निम्बाहेड़ा (टोंक रियासत का भाग) में क्रांतिकारियों का जन स्वागत किया गया । 5. देवली छावनी के सैनिक भी इसके साथ चल दिए तथा दिल्ली की ओर चल दिए । 6. नीमच के 40 अंग्रेजों ने डूंगला गांव के रूगा राम के पास शरण ली । मेवाड़ के पॉलिटिकल एजेंट शॉवर्स ने इन्हें उदयपुर भेजा। उदयपुर के महाराणा स्वरूप सिंह ने इन्हें जगमंदिर में शरण दी। ❖ एरिनपुरा में क्रांति :- 21 अगस्त 1857 1. पूर्वीया सैनिकों ने आबू में क्रांति की थी । 2. नेता – कुशाल सिंह चंपावत (आहुवा का सामन्त) 3.यह खेरवा नामक स्थान पर सैनिक से मिला। ❖ बिठोड़ा का युद्ध :- 8 सितंबर 1857 1. कुशलराज सिंह (जोधपुर)+ हीथकोट (अंग्रेज) v/s कुशल सिंह चंपावत(विजय)+क्रांतिकारी 2. इस युद्ध में जोधपुर का ओनाड सिंह पवार मारा गया। ❖ चेलावास (पाली का युद्ध):- 18 सितंबर 1857 1. जॉर्ज पेट्रिक लॉरेंस (AGG)+ मेकमेसन( मारवाड़ का PA) v/s कुशाल सिंह चंपावत(विजय)। 2. इस युद्ध में मेकमोसन को मार दिया गया। 3. इस युद्ध को काले और गौरो का युद्ध भी कहा जाता है। ❖ आहुवा का युद्ध :- 20/ 21 जनवरी 1858 1. होम्स( दिल्ली)+ हंसराज जोशी (जोधपुर) v/s पृथ्वी सिंह (लांबिया) 2. कुशाल सिंह चंपावत सहायता के लिए मेवाड़ चला गया । 3.अंग्रेजों ने आहुवा पर अधिकार कर लिया। 4. कुशाल सिंह चंपावत ने 1860 में नीमच में आत्मसमर्पण कर दिया । इसकी जांच के लिए टेलर आयोग बनाया गया। ❖ कुशाल सिंह का साथ देने वाले सा साभन्त :- 1. गूलर- विशन सिंह (नागौर) 2. आलनियावास – अजीत सिंह (नागौर) 3. आसोप- शिव नाथ सिंह (जोधपुर) 4. शिवनाथ सिंह के नेतृत्व में विरोधियों ने दिल्ली की तरफ जाने का प्रयास किया। लेकिन नारनौल के पास अंग्रेज सेनापति गेरार्ड से हार गये। 5. केसरी सिंह चुंडावत( सलूंबर), जोध सिंह (कोठारिया ,जोधपुर):- इन्होंने कुशाल सिंह को मेवाड़ में शरण दी। ❖ सुगाली माता :- आहुवा की ईष्ट देवी ◆ कर्नल होम्स ने इसे राजपूताना म्यूजियम (अजमेर) में रखा था। वर्तमान में यह पाली के बांगड़ म्यूजियम में है। यह काले संगमरमर की मूर्ति है। इसमें 10 सिर और 54 हाथ है। ❖ तख्त सिंह :- क्रांति के समय जोधपुर का राजा। ❖ कान जी :– 1. बिठोडा का सामन्त जिसकी कुशाल सिंह चंपावत ने हत्या कर दी थी। 2. 1835 में जोधपुर बटालियन का गठन किया गया जिसका मुख्यालय एरिनपूरा में है । ❖ कोटा का जन विद्रोह :- 15 अक्टूबर 1857 1. विद्रोही- मेहराब खान व जय दलाल 2. पॉलिटिकल एजेंट बर्टन को मार दिया गया। 3. राजा रामसिंह द्वितीय को गिरफ्तार कर दिया गया। 4. मथुराधीश मंदिर के महंत कन्हैया लाल गोस्वामी ने समझौता कराया । 5. रामसिंह द्वितीय ने बर्टन की हत्या की जिम्मेदारी स्वीकारी। 6. करौली के राजा मदन पाल ने राम सिंह II को मुक्त करवाया। मदन पाल को 17 तोपों की सलामी दी गई । 7. मार्च 1858 में रॉबर्ट्स ने कोटा को पूर्णत: मुक्त करवाया । 8. जय दयाल एवं मेहरावखान को मृत्युदंड दिया गया। 9. राजा रामसिंह द्वितीय को दंडित किया गया और तोपों की सलामी घटाकर 15 से 11 कर दी। ❖ अमरचंद बांठिया :- 1. मूल रूप से बीकानेर से थे। 2. क्रांति के दौरान झांसी की रानी लक्ष्मीबाई की आर्थिक सहायता की थी। 3. इन्हें क्रांति का भामाशाह का जाता है। 4. राज. के पहले शहीद थे जिन्हे फांसी दी गई थी। Notes:- बीकानेर के राजा सरदार सिंह एकमात्र राजा थे जिन्होंने रियासत से बाहर जाकर अंग्रेजों का साथ दिया । ❖ तात्या टोपे :- 1.वास्तविक नाम रामचंद्र पांडुरंग 2. क्रांति के दौरान दो बार राजस्थान आया। 3. सबसे पहले भीलवाड़ा के मांडलगढ़ में आये। 4. टोंक के नासिर मोहम्मद खान ने तात्या तोपे का साथ दिया। ❖ कूआड़ा का युद्ध (भीलवाड़ा) :- 9 अगस्त 1857 1. तात्या तोपे v/s रॉबर्ट्स(विजय) 2. तात्या तोपे हार गए। 3. झालावाड़ के राजा पृथ्वी सिंह ने तात्या तोपे के खिलाफ पलायता नामक स्थान पर अपनी सेना भेजी लेकिन गोपाल पलटन के अलावा सभी सेना से लड़ने से मना कर दिया । 4.तात्या तोपे ने झालावाड़ पर अधिकार कर लिया । 5. पृथ्वी सिंह से ₹500000 लिये। 6. तात्या टोपे ने बांसवाड़ा पर भी अधिकार कर लिया था । 7. तात्या तोपे जैसलमेर को छोड़कर सभी रियासतों में सहायता के लिए गया था । 8. सलूंबर के केसरी सिंह व कोठारिया के जोध सिंह ने तात्या टोपे की सहायता की थी। 9. बीकानेर के सरदार सिंह ने तात्या तोपे को दस घुड़सवार दिए । 10. तात्या तोपे को शरण देने के कारण सीकर के सामंत को फांसी दी गई । 11.तात्या तोपे की छतरी – सीकर में है । ❖कैप्टन शॉकर्स का कथन :- इतिहास में तात्या टोपे को फांसी देना ब्रिटिश सरकार का अपराध समझा जाएगा और आने वाली पीढ़ी पूछेगी कि इस सजा के लिए किस ने स्वीकृति दी और किस ने पुष्टि की। ❖ टोंक में विद्रोह:- 1. नवाब वजीरुद्दौलावाला अंग्रेजों का समर्थक था लेकिन उसके मामा वीर आलम खान ने विद्रोहियो का साथ दिया। 2. निंबाहेड़ा में ताराचंद पटेल ने जैक्सन की सेना का सामना किया जैक्सन नीमच के विद्रोहियों का पीछा कर रहा था। 3. टोंक में महिलाओं ने भी क्रांति में भाग लिया। ❖ धौलपुर :- 1. विद्रोही रामचंद्र व हीरालाल 2.राजा भगवत सिंह ने क्रांति को दबाने के लिए पटियाला से सेना बुलाई । ❖ अलवर :- राजा विजय सिंह – अंग्रेजों का साथ दिया। साभन्त फैजल खान – क्रांतिकारियों का साथ दिया। ❖ भरतपुर :- 1. गुर्जर व मेव जाति द्वारा विद्रोह 2. राजा जसवंत सिंह ने पोलिटिकल एजेंट मॉरीसन को भारतपुर छोड़ने की सलाह दी । ❖ जयपुर:- विद्रोह – सादुल्ला खाँ, उस्मान खान, विलायत खां ◆ राजा रामसिंह द्वितीय ने पॉलोटिकल एजेंट ईडन के कहने पर विद्रोहियों को पकड़ लिया। तथा केसर -ए-हिन्द की उपाधि व नगाड़ा दिया । |