आयकर अधिनियम की धारा 80C क्या है वर्णन कीजिए - aayakar adhiniyam kee dhaara 80ch kya hai varnan keejie

नई दिल्ली. हर साल के आखिरी कुछ महीनों में आयकर कानून के सेक्शन 80C की खूब चर्चा रहती है. क्या है सेक्शन 80C?

साल के अंत में इसकी क्यों ज्यादा चर्चा होती है? इसका वास्ता किन लोगों से है? हमने इन सवालों के जवाब जानने की कोशिश है.

1. क्या है सेक्शन 80C?
आयकर कानून का सेक्शन 80C दरअसल इनकम टैक्स कानून, 1961 का हिस्सा है. इसमें उन निवेश माध्यमों का उल्लेख है, जिनमें निवेश कर आयकर में छूट का दावा किया जा सकता है. कई लोग वित्त वर्ष खत्म होने से पहले टैक्स बचाने के लिए निवेश करना शुरू करते हैं, जिससे साल के आखिरी महीनों में सेक्शन 80C की ज्यादा चर्चा रहती है.

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2. सेक्शन 80C के तहत कहां कर सकते हैं निवेश?
टैक्स बचाने के लिए आयकर कानून आपको कई निवेश माध्यमों में पैसा लगाने का विकल्प देता है.

इनमें म्यूचुअल फंड के टैक्स फंड (ईएलएसएस), बैंक की टैक्स सेविंग्स फिक्स्ड डिपॉजिट स्कीम, एनपीएस, पीपीएफ, जीवन बीमा पॉलिसी, नेशनल सेविंग्स सर्टिफिकेट और पोस्ट ऑफिस की सीनियर सिटिजन सेविंग्स स्कीम शामिल हैं. एक वित्त वर्ष में टैक्स बचत के लिए अधिकतम 1.5 लाख रुपये का निवेश इन निवेश माध्यमों में किया जा सकता है.

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3. बच्चों की ट्यूशन फीस भी सेक्शन 80C के दायरे में
बच्चों की ट्यूशन फीस पर भी सेक्शन 80C के तहत टैक्स छूट मिलती है. हालांकि, यह ऐसा निवेश नहीं है, जिस पर रिटर्न मिलता हो. हर साल अधिकतम दो बच्चों की ट्यूशन फीस पर यह छूट मिलती है. इसके लिए आपको स्कूल द्वारा जारी फीस का सर्टिफिकेट देना पड़ता है.

यह सेक्शन 80C के तहत आने वाला एकमात्र खर्च है, जो निवेश के दायरे में नहीं आता है.

4. टैक्स छूट के लिए 31 मार्च तक निवेश जरूरी
अगर आप सेक्शन80C के तहत टैक्स छूट का लाभ उठाना चाहते हैं तो आपको वित्त वर्ष खत्म होने से पहले निर्धारित निवेश माध्यमों में निवेश करना होगा.

अगर आप प्राइवेट कंपनी में काम करते हैं तो यह काम आप जनवरी के पहले हफ्ते तक कर लें तो अच्छा रहेगा. कंपनियां हर साल जनवरी में पहले-दूसरे हफ्ते तक निवेश का प्रमाण जमा करने को कहती हैं.

इसकी वजह यह है कि वे वित्त वर्ष के बाकी तीन महीने टीडीएस काटने का विकल्प खुला रखती हैं.

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5. किस माध्यम में कितना निवेश, यह आपका फैसला
आपके लिए यह समझ लेना जरूरी है कि सेक्शन 80C के तहत दिए गए निवेश माध्यमों में कितना निवेश करना है, यह फैसला आपको करना होगा.

टैक्स छूट के लिए इन माध्यमों में निवेश की अधिकतम सीमा 1.5 लाख रुपये है. आप चाहे तो पूरा पैसा एक या दो निवेश माध्यमों में लगा दें या जोखिम लेने की अपनी क्षमता और रिटर्न की चाहत को ध्यान में रख अलग-अलग निवेश माध्यमों में अपने निवेश को बांट दें.



नई दिल्लीः Section 80c of Income Tax: बजट 2022 से हर किसी को उम्मीदें लगी हैं. आम आदमी से लेकर बिजनेस क्लास तक की बजट पर नजर रहेगी. हर कोई चाहता है कि बजट में उनके लिए भी कुछ हो. केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण 1 फरवरी यानी आज संसद में बजट पेश करेंगी.

अनुमान लगाया जा रहा है कि इनकम टैक्स की धारा 80 सी (Income Tax 80c) के तहत दी जाने वाली टैक्स छूट की लिमिट बढ़ाई जा सकती है. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, महंगाई और बढ़ती आय को देखते हुए टैक्स छूट की सीमा को बढ़ाकर 3 लाख रुपये किया जा सकता है. ऐसे में हम आपको बता रहे हैं कि धारा 80 सी क्या है?

जानिए धारा 80सी के बारे में

दरअसल, इनकम टैक्स रिटर्न फाइल करते हुए हर किसी का ध्यान टैक्स बचाने पर होता है. तब आयकर की धारा 80सी का जिक्र आता है. इनकम टैक्‍स एक्‍ट 1961 के अंतर्गत धारा 80सी के तहत आयकरदाता वित्त वर्ष में 1.5 लाख रुपये तक के निवेश पर टैक्‍स छूट का लाभ उठा सकता है. एक्सपर्ट बताते हैं कि 80सी में निवेश, बीमा और अन्य खर्च पर छूट दी जाती है.

पुरानी कर व्यवस्था में मिलता है लाभ

हालांकि, धारा 80सी के तहत निवेश पर मिलने वाली छूट का फायदा केवल पुरानी कर व्‍यवस्‍था में ही दिया जाता है. जो करदाता नई कर व्‍यवस्‍था को चुनते हैं, उन्हें इसका लाभ नहीं मिलता है.

स्कीम में निवेश पर उठा सकते हैं फायदा

बता दें कि आयकर की धारा 80सी के तहत ईपीएफ, पीपीएफ, एनपीएस, म्‍यूचुअल फंड, इक्विटी लिंक्‍ड सेविंग स्‍कीम, नेशनल सेविंग सर्टिफ‍िकेट, 5 साल की फ‍िक्‍स्‍ड डिपॉजिट स्‍कीम, सुकन्‍या समृद्धि योजना, सीनियर सिटीजन सेविंग स्‍कीम में निवेश कर वित्त वर्ष में 1.5 लाख रुपये तक का टैक्स छूट में फायदा उठाया जा सकता है.

इन खर्चों पर भी मिलती है टैक्स में छूट

वहीं, आयकर की धारा 80सी के तहत होम लोन पेमेंट, दो बच्‍चों की स्‍कूल फीस, इंश्‍योरेंस प्रीमियम जैसे खर्च के बदले भी टैक्‍स छूट का दावा किया जा सकता है.

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साल 2020-21 के लिए इनकम टैक्स छूट पाने के लिए आपको 31 मार्च तक कुछ खास स्कीमों में निवेश करना होगा। ज्यादातर लोगों को टैक्स छूट पाने के लिए सेक्शन 80C और 80D की जानकारी तो रहती है, लेकिन इसके अलावा भी इनकम टैक्स एक्ट में ऐसे कई सेक्शन हैं, जिनकी मदद से आप इनकम टैक्स छूट पा सकते हैं। आज हम आपको इनके बारे में बता रहे हैं, ताकि आप ज्यादा से ज्यादा टैक्स बचा सकें।

इनकम टैक्स की धारा 80 सी क्या है?

भारतीय आयकर अधिनियम (Income Tax Act) की धारा 80 C और इससे संबंधित धाराएँ 80 CCC एवं 80 CCD के तहत किसी भी व्यक्ति और संयुक्त हिन्दू परिवार(HUF) को एक फाइनेंशियल वर्ष के टैक्स में 1,50,000 रुपए तक की छूट मिल सकती है। यह छूट कंपनी, कॉर्पोरेट, साझेदारी (पार्टनरशिप) आदि में को नहीं मिलती है।

80सी क्या है?

आप सभी को पता है की जरूरत है यदि आप आयकर का भुगतान करते हैं, तो आयकर अधिनियम में एक अनुभाग है जिसके बारे में आपको पूरी तरह से जानकारी होनी चाहिए, और यह धारा 80 सी है। इस धारा के तहत आप चुनिंदा निवेश में अपना पैसा लगाकर एक वित्त वर्ष में अपनी कर योग्य आय में डेढ़ लाख रुपये की कमी कर सकते हैं।

धारा 80 सी के तहत कटौती की व्याख्या करें कटौती को कैसे पता करें?

धारा 80 C: इस धारा के अनुसार, आप 1.5 लाख रुपये तक का दावा कर सकते हैं। आपकी कुल आय से 1.5 लाख की कटौती यानी आप अपने आप को रुपये के लिए कर का भुगतान करने से बचा सकते हैं। कुल कर योग्य राशि में से 1.5 लाख। यह व्यक्तियों और हिंदू अविभाजित परिवारों द्वारा दावा किया जा सकता है।