मोबाइल को सर्विलांस पर कैसे लगाएं - mobail ko sarvilaans par kaise lagaen

क्रिमिनल्स की लोकेशन ट्रेस करने में सबसे अहम भूमिका सर्विलांस की मानी जाती है। बदलते समय के साथ पुलिस के पास मुखबिर की संख्या कम होती गई। पुलिस ने खुद को हाईटेक करने के लिए नए टेक्नोलॉजी पर काम करना शुरू कर दिया। दरअसल, क्रिमिनल को ट्रेस करने के लिए पुलिस उसके सेल नंबर को जिस सिस्टम पर लगाती है उसे सर्विलांस कहते हंै। कई बार शातिर बदमाश इस जाल से निकलने के लिए अपना सिम चेंज कर लेते हैं, लेकिन उनके द्वारा पूर्व में की गई कॉल और एसएमएस के जरिए पुलिस उस तक जा पहुंचती है।

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IMEI नंबर से फंसते हैं

हर मोबाइल का अपना इंटरनेशनल मोबाइल इक्यूपमेंट आईडेंटिटी(आईएमईआई)नंबर होता है, जिसकी डिटेल फोन बनाने वाली सभी कंपनीज के पास मौजूद रहती है। सिम चेंज कर क्रिमिनल भले ही ये समझता हो कि पुलिस अब उस तक नहीं पहुंच सकती, लेकिन जैसे ही मोबाइल में दूसरा सिम डाला जाता है, इसकी इंफॉर्मेशन उस कंपनी को लग जाती है। आईएमईआई के माध्यम से भी ये पता लग जाता है कि कौन किस नंबर पर बात कर रहा है। बस पुलिस के लिए यही जानकारी महत्वपूर्ण साबित होती है। फोन ऑफ होने पर भी लोकेशन का पता लगाया जा सकता है।

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हर माह होती है मीटिंग

सर्विलांस का इस्तेमाल पुलिस के लिए भले ही कारगर साबित हो रहा हो, लेकिन मोबाइल कंपनीज के सहयोग के बिना पुलिस का काम अधूरा ही रहता है। इसीलिए गवर्नमेंट ऑफ इंडिया द्वारा देश की सभी सेल सर्विस प्रोवाइड करने वाली कंपनी के लिए एक गाइड लाइन जारी की गई है, जिसमें उन्हें हर माह जिलेवार स्तर पर पुलिस के साथ बैठक करनी होती है। संदिग्ध नंबर मिलने के बाद कंपनी के कर्मी पुलिस को उक्त नंबर पर की गई बात का पूरा खाका मुहैया कराते हैं, जिसके आधार पर पुलिस अपनी कार्रवाई को आगे बढ़ाती है।

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मसूरी में सफल नहीं

दून व स्टेट के तमाम हिस्से में पुलिस सर्विलांस के जरिए भले ही क्रिमिनल्स पर नकेल कसने में सफल रही हो, लेकिन टूरिस्ट प्लेस मसूरी में सर्विलांस पूरी तरह फ्लॉप रहा है। यही वजह है कि अभी तक वहां के तमाम बड़े केसेज वर्क आउट नहीं किए जा सके हैं। बतौर डीआईजी दून रेंज मसूरी में लगे मोबाइल टावर्स काफी पास-पास हैं। इसके साथ ही हाइट पर होने की वजह से मसूरी में दून व सहारनपुर तक के टावर्स कैच होते हैं, जिसके चलते संदिग्ध नंबर को सर्विलांस पर लगाने में काफी परेशानी होती है।

CCTNS से मिलेगी help

पहले की तुलना में पुलिस अब काफी हाईटेक हो चुकी है।

माना जा रहा है क्राइम कंट्रोल ट्रैकिंग नेटवर्क सिस्टम(सीसीटीएनएस)पूरी तरह लागू होने के बाद क्रिमिनल्स को पकडऩे में पुलिस को और हेल्प मिलेगी। देश के सभी थाने आपस में इंटरनेट के माध्यम से कनेक्ट हो जाएंगे। ऐसे में कश्मीर से लेकर कन्याकुमारी तक किसी भी अपराधी की पूरी जानकारी ऑन लाइन मिल जाएगी। इससे पुलिस का आपस में समन्वय भी बना रहेगा।

वर्जन-

पुलिस के लिए सर्विलांस बड़ा हथियार बन चुका है। इसके जरिए कई बड़ी कामयाबी भी हाथ लग चुकी हैं। इसके और बेहतर इस्तेमाल का प्रयास किया जा रहा है।

Mobile Number Surveillance Kya Hai मोबाइल सर्विलांस क्या होता है? इस सुविधा का इस्तेमाल ज्यादातर पुलिस, CBI किसी क्रिमिनल का Location Track करने के लिए करती है।

कुछ इसी तरह का काम जैमर का होता है, जो मोबाइल नेटवर्क बैन करता है। इसका इस्तेमाल परीक्षा केंद्र (Examination Centre) पर सुरक्षा (Security) की दृष्टि से किया जाता है।

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मोबाइल को सर्विलांस पर कैसे लगाएं - mobail ko sarvilaans par kaise lagaen
Mobile Surveillance Kya Hai

Table of Contents

  • 1 Mobile Surveillance Kya Hai
  • 2 मोबाइल फोन जैमर
  • 3 You May Also Read

Mobile Surveillance Kya Hai

किसी संदिग्ध व्यक्ति पर नज़र रखने या जब कोई पुलिस कम्प्लेन किया जाता है तो बताये गए नंबर पर सर्विलांस लगाया जाता है। सम्बंधित व्यक्ति का सूचना प्राप्त करने के लिए उसके मोबाइल की निगरानी की जाती है।

इसके अंदर मोबाइल पर आने वाली सभी कॉल्स की बातचीत सम्बंधित अधिकारी को मिलता है. मोबाइल सर्विलांस दो प्रकार का होता है।

  • कॉल डिटेल रिकॉर्ड सी-डी-आर की सूचना प्राप्त करने का सूचना सर्विस प्रोवाइडर द्वारा प्रदान की जाती है।
  • लिसनिंग वॉच अर्थात बातचीत की रिकॉर्डिंग करना, इसके अंतर्गत वॉइस लांगर कहलाने वाले उपकरण का प्रयोग किया जाता है।

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मोबाइल फोन जैमर

जैमर इसके नाम से ही पता चलता है यह कुछ जाम करने के लिए है. इस उपकरण के माध्यम से ट्रांसमिशन ब्लॉक कर दिया जाता है जिससे मोबाइल फ़ोन डब्बा बन जाता है।

जैमर लोकेशन में आने के बाद फ़ोन से कॉल, मैसेज या इंटरनेट का आनंद नहीं ले सकते हो। हाई सिक्योरिटी के लिए इसका इस्तेमाल किया जाता है।

जैसे आप सभी को पता है जो नहीं होना चाहिए फिर भी हो रहा है। देश में सबसे ज्यादा सुरक्षा नेता को दिया जाता है। अब सोचने वाली बात यह है नेता को सुरक्षा की क्या जरूरत है?

नेता तो जनता का सेवक होता है क्या कभी किसी नौकर को सुरक्षा में रहते देखा है क्या लेकिन, नहीं नेता को सुरक्षा दी जाएगी उसके जान को खतरा है। हो भी क्यों ना!

चुनाव लड़ने से पहले सर्वेंट क्वार्टर में रहते हैं और समय के साथ इतनी धनवर्षा हो जाती है जैसे खुद कुबेर उनके यहाँ किराये से रहता हो।

किसी MLA, MP, Chief Minister, Prime Minister की तनख्वाह इतनी तो नहीं होती है. नेताओं के घर के बाहर और जब यह किसी दौरे पर होता है तो जैमर वैन इनके साथ साथ चलता है.

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सुरक्षा दृष्टि से कई और भी यंत्र का इस्तेमाल किया जाता है. पिछले पोस्ट में चोरी हुआ मोबाइल कैसे खोजे गूगल करेगा मदद इसके बारें में जानकारी शेयर किया गया तो उसमें सर्विलांस का जिक्र किया गया तो इसके बारें में एक डिटेल पोस्ट पब्लिश किया जा रहा है.

अन्य किसी जानकारी के लिए कमेंट में पूछ सकते हैं. इसके आलवे Mobile Surveillance के बारें में ज्यादा जानकारी के लिए कुछ टेक्निकल ब्लॉग पढ़ सकते है।

मोबाइल नंबर सर्विलांस पर कैसे लगाएं?

इसके लिए आपको मोबाइल सर्विलांस पर लगाने के लिए पुलिस के चक्कर भी नहीं काटने पड़ेंगे। बस आपको इन साइट्स पर अपने फोन का आईएमईआई नंबर रजिस्ट्रेशन करना होगा। जब भी नया फोन खरीदें, सबसे पहले अपने फोन का आईएमईआई नंबर *#06# पर डायल कर नोट करा लें। इसके बाद इन वेबसाइट्स पर रजिस्ट्रेशन कराएं और खोजें अपना खोया हुआ गैजेट।

सर्विलांस सिस्टम क्या होता है?

डिजीज सर्विलांस सिस्टम क्या है 'सर्विलांस', फ्रेंच भाषा का एक शब्द है जिसका शाब्दिक अर्थ होता है 'अतिरिक्त नजर'. हिंदी में इसे हम निगरानी-तंत्र भी कहते हैं. निगरानी तंत्र (सर्विलांस सिस्टम) के माध्यम से व्यक्ति के व्यवहार पर निगरानी रखी जाती है.

मेरा फोन चोरी हो गया है मैं क्या करूं?

ऐसे में आपको फौरन अपने नजदीकी पुलिस स्टेशन में जाना होगा और FIR दर्ज करानी होगी। इसके अलावा आपको अपने सिम कार्ड को भी ब्लॉक कराना होगा। यह बहुत ही जरूरी हो जाता है। क्योंकि कोई भी अनजान व्यक्ति आपके सिम का गलत इस्तेमाल कर सकता है।