मैकियावेली को पुनर्जागरण का शिशु कहना कितना उचित होगा अपने उत्तर की पुष्टि करें? - maikiyaavelee ko punarjaagaran ka shishu kahana kitana uchit hoga apane uttar kee pushti karen?

प्रश्न; मैकियावेली को आधुनिक युग का जनक क्यों कहा जाता है?

अथवा" मैकियावेली आधुनिक युग का प्रथम विचारक है विवेचना कीजिए।

अथवा" मैकियावेली को अपने युग का शिशु क्यों कहा जाता है?

अथवा" प्रतिभा सम्पन्न मैकियावली पूर्णरूप से अपने युग का शिशु था? समझाइए। 

अथवा" राजनीतिक चिंतन के इतिहास में मैकियावी के महत्व की विवेचना कीजिए।

उत्तर--

मैकियावेली को आधुनिक युग का जनक/शिशु/प्रथम विचारक क्यों कहा जाता हैं?

संसार में प्रत्येक व्यक्ति अपने युग का शिशु होता हैं, उसके विचारों पर तत्कालीन परिस्थितियों और वातावरण का प्रभाव अवश्य पड़ता हैं। मैकियावेली भी इन व्यक्तियों के समान अपने युग का शिशु था। वह भी उसके समय के वातावरण और परिस्थतियों से अलग न रहा। उसके विचारों और दर्शन को उस युग ने ही जन्म दिया। इसलिए जोन्स महोदय ने कहा कि "Machiavelli the Child of Florence and Renaissance."

मैकियावली मध्य-युग के अंत में इटली के फ्लोरेंस नामक राज्य में उत्पन्न हुआ। वह एक महान कूटनीतिज्ञ, राजनीतिज्ञ एवं राजनीतिक विचारक था। उसने प्रिंस और डिस्कोर्सेज आनलिवी नामक दो राजनीति विज्ञान की प्रसिद्ध पुस्तकें लिखी थीं। वह एक महत्वाकांक्षी व्यक्ति था और क्लर्क से अपनी प्रतिभा, योग्यता और कूटनीतिक ताकत के बल पर फ्लोरेंस राज्य की दस व्यक्तियों की सर्वोच्च परिषद् के सदस्य पद तक पहुंचा था। उसकी पुस्तकों में उसके कूटनीतिक और राजनीतिक तीव्र अनुभवों का सार हैं। 

मैकियावली ने मध्य-युग के अंत में राज्य को धर्म और नैतिकता से मुक्त कर आधुनिक युग का मार्ग प्रशस्त किया। इसलिए मैकियावली को आधुनिक युग का जन्मदाता या जनक माना जाता हैं। 

उसके विचारों पर अपने युग की परिस्थतियों का गहरा प्रभाव दिखाई देता हैं। उसके विचार तत्कालीन यूरोप विशेषकर इटली की परिस्थितियों की उनज थे। तत्कालीन इटली 5 राज्यों में बँटा हुआ था, जो आपस में लड़ते रहते थे। पोप उस समय इटली में सबसे बड़ी शक्ति था। वह यूरोपीय राजनीति पर हावी था। मैकियावली का उद्देश्य यूरोपीय राजनीति को पोप के प्रभाव से मुक्त कराना था और धर्म ने राजनीति को जो दूषित कर रखा था उससे मुक्ति दिलाना थी। 

अतः यह कहना उचित हैं कि "मैकियावली अपने युग का शिशु था।" वास्तव में मैकियावली इटली की फूट और दुर्दशा से बहुत दुःखी था। वह चाहता था कि इटली पोप के प्रभाव से मुक्त एवं एकीकृत होकर एक शक्तिशाली राष्ट्रीय राज्य बने। वास्तव में मैकियावली अपने युग से जितना प्रभावित था, उतना बहुत कम लेखक होते हैं। उसके काल की प्रमुख परिस्थतियाँ निम्नलिखित थी-- 

1. यूरोप में पोपवाद का बोलबाला था। 

2. शक्तिशाली राजतंत्रों की स्थापना और पोप से राजा की टकराहट। &lt;/p&gt;&lt;p&gt;3. राष्ट्रीयता की भावना और पुनर्जागरण।&amp;nbsp;&lt;/p&gt;&lt;p&gt;4. धर्म और राजनीति के बीच अन्तर्द्वन्द।&amp;nbsp;&lt;/p&gt;&lt;p&gt;5. विज्ञान का अभ्युदय और यथार्थवाद का विकास।&amp;nbsp;&lt;/p&gt;&lt;p&gt;वास्तव में मैकियावली अपने युग का ऐसा दार्शनिक था, जिसने समकालीन परिस्थितियों को सही व यथार्थ रूप में देखा और तत्कालीन सामाजिक व राजनीतिक बुराइयों का अनुभव किया और अपनी रचनाओं में उनके समाधान पेश किये।&amp;nbsp;&lt;/p&gt;&lt;p&gt;मैकियावली के दर्शन में आधुनिक युग की निम्नलिखित विशेषताएं देखने को मिलती हैं--&lt;/p&gt;&lt;p&gt;1. राष्ट्रीय राज्य का संदेश।&amp;nbsp;&lt;/p&gt;&lt;p&gt;2. राज्य की सर्वोपरिता की धारणा।&amp;nbsp;&lt;/p&gt;&lt;p&gt;3. धर्म और नैतिकता के बंधन से राजनीति की मुक्ति की छटपटाहट।&amp;nbsp;&lt;/p&gt;&lt;p&gt;4. शक्ति की राजनीति।&amp;nbsp;&lt;/p&gt;&lt;p&gt;5. धर्मनिरपेक्षता।&amp;nbsp;&lt;/p&gt;&lt;p&gt;6. व्यक्तिवाद, उपयोगितावाद एवं भौतिकवाद के बीज।&amp;nbsp;&lt;/p&gt;&lt;p&gt;7. आधुनिक अध्ययन-पद्धति।&amp;nbsp;&lt;/p&gt;&lt;h4 style="text-align:center"&gt;निष्कर्ष&amp;nbsp;&lt;/h4&gt;&lt;p&gt;उपर्युक्त विवेचन से हम इस निष्कर्ष पर पहुंचते हैं, कि यद्यपि मैकियावली का जन्म मध्य-युग के अंत में हुआ था, परन्तु वह आधुनिक युग का अग्रदूत था। उसने मध्य-युग के कई दोषों पर चिंतन किया और पोपवाद, सामन्तवाद तथा रोम साम्राज्य की तत्कालीन बुराइयों पर कठोर प्रहार करने का साहस दिखाया। उसने मध्य-युग की तमाम विशेषताओं का विरोध कर उनके स्थान पर राजनीतिक दोषों को दूर कर आधुनिकता लाने का संदेश दिया।&amp;nbsp;&lt;/p&gt;&lt;p&gt;अतः मैकियावली के दर्शन में हमें मध्य-युग का स्पष्ट प्रभाव दिखाई देता हैं, परन्तु उसके राजनीतिक विचारों में आधुनिक युग की प्रवृत्तियां ही प्रबल हैं। अतः उसे बहुत कुछ सीमा तक आधुनिक युग का जन्मदाता कहा जा सकता हैं। वास्तव में वह एक ऐसा युग-प्रवर्तक विचारक था जो युग की सड़ी-गली मान्यताओं पर प्रहार कर उन्हें नष्ट कर उनके स्थान पर नये विचारों का सूत्रपात करता हैं। उसके विचार समय से बहुत आगे और क्रान्तिकारी थे।&lt;/p&gt;&lt;div dir="ltr" style="background-color:white;font-family:-apple-system,BlinkMacSystemFont,&amp;quot;Segoe UI&amp;quot;,Roboto, Helvetica,Arial,&amp;quot;Open Sans&amp;quot;,sans-serif;font-size:17px;height:auto;margin:0px;padding:0px" trbidi="on"&gt;&lt;span style="font-size:large;margin:0px;padding:0px"&gt;&lt;b&gt;&lt;script async src="https://pagead2.googlesyndication.com/pagead/js/adsbygoogle.js"&gt; <ins class="adsbygoogle" style="display:block" data-full-width-responsive="true" data-ad-format="fluid" data-ad-layout-key="-6t+ed+2i-1n-4w" data-ad-client="ca-pub-4853160624542199" data-ad-slot="5830977226"></ins> <script> (adsbygoogle = window.adsbygoogle || []).push({}); यह जानकारी आपके के लिए बहुत ही उपयोगी सिद्ध होगी

मैक्यावली पुनर्जागरण का शिशु है समझाइए?

सामान्यतः प्रत्येक दार्शनिक एवं विद्वान अपने युग का शिशु होता है क्योंकि उसके चिंतन पर समकालीन परिस्थितियों, घटनाओं एवं प्रचलित विचारधाराओं का प्रभाव पड़ता ही है और वह अपने देश और काल के रंग में रंगा होता है, परंतु फिर भी राजनीतिक विचारों के इतिहास में मैकियावेली को ही 'अपने युग का शिशु' की संज्ञा दी जाती है।

मैकियावेली अपने युग का शिशु था यह कथन किसका है?

निकोलो मैकियावेली
निकोलो मैकियावेली का चित्र सांति दी टिटो द्वार
जन्म
३ मई १४६९ फ़्लोरेन्स, Republic of Florence
मृत्यु
21 जून 1527 (उम्र 58) फ़्लोरेन्स, Republic of Florence
हस्ताक्षर
निकोलो मैकियावेली - विकिपीडियाhi.wikipedia.org › wiki › निकोलो_मैकियावेलीnull

मैकियावेली को अपने पुत्र का शिशु क्यों कहा जाता है?

"साधारणतया प्रत्येक दार्शनिक और राजनीतिज्ञ के दर्शन और नीतियों पर उसके देश काल की पारस्थतियों का प्रभाव पड़ता है। परन्त मैकियावली पर अपने समकालीन राजनीतिक, आर्थिक, सामाजिक एवं नैतिक वातावरण की छाप सबसे सुस्पष्ट रूप से अंकित है। इसलिए डनिंग ने विशेष रूप से उसे अपने युग का शिशु कहा है।

मैकियावेली ने कौनसी अध्ययन पद्धति का प्रयोग किया?

ऐतिहासिक पद्धति मैकियावली ने आनुभाविक विधि को अपनाते हुए ऐतिहासिक विधि से उसकी पुष्टि की। उसने समकालीन राजनीति का अध्ययन किया, विश्लेषण किया, अपने निष्कर्ष निकाले और उसके बाद इतिहास की घटनाओं के आधार पर उनकी पुष्टि की।