UP Board Solutions for Class 12 Physics Chapter 11 Dual Nature of Radiation and Matter (विकिरण तथा द्रव्य की द्वैत प्रकृति) are part of UP Board Solutions for Class 12 Physics. Here we have given UP Board Solutions for Class 12 Physics Chapter 11 Dual Nature of Radiation and Matter (विकिरण तथा द्रव्य की द्वैत प्रकृति). Show
अभ्यास के अन्तर्गत दिए गए प्रश्नोत्तर प्रश्न 1: प्रश्न
2: (a) यदि उत्सर्जित प्रकाश इलेक्ट्रॉन की उच्चतम गतिज ऊर्जा Emax हो तो (b) यदि विरोधी विभव V0 हो तो (c) यदि उत्सर्जित प्रकाश इलेक्ट्रॉन की अधिकतम चाल νmax हो तो प्रश्न
3: प्रश्न 4: प्रश्न 5: प्रश्न 6: प्रश्न 7: (b) प्रति सेकण्ड गोले को दिए गए फोटॉनों की संख्या प्रश्न 8: प्रश्न
9: ∴ प्रकाश धातु का कार्य-फलन, 20 = 4.2 eV (दिया है) चूँकि आपतित फोटॉन की ऊर्जा कार्य-फलन से कम है, अत: प्रकाश-इलेक्ट्रॉन उत्सर्जन सम्भव नहीं प्रश्न 10: प्रश्न 11: प्रश्न 12: प्रश्न 13: प्रश्न 14: प्रश्न 15: प्रश्न 16: (b) फोटॉन की ऊर्जा, (c) इलेक्ट्रॉन की गतिज ऊर्जा, प्रश्न 17: (b) डी-ब्रॉग्ली तरंगदैर्घ्य, प्रश्न 18: समीकरण (1) व (3) की तुलना करने पर, λ = λ’ अर्थात् वैद्युत-चुम्बकीय विकिरण की तरंगदैर्घ्य, डी-ब्रॉग्ली तरंगदैर्घ्य के बराबर है। प्रश्न 19: अतिरिक्त अभ्यास प्रश्न 20: माना एनोड से टकराते समय इलेक्ट्रॉनों का वेग ν है, तब इलेक्ट्रॉनों की ऊर्जा में वृद्धि (b) पुनः इलेक्ट्रॉन की चाल ∵ इलेक्ट्रॉन की यह चाल निर्वात् में प्रकाश की चाल c= 3 x 10 m s-1 से अधिक है तथा हम जानते हैं कि कोई द्रव्य कण निर्वात् में प्रकाश के वेग के बराबर अथवा अधिक चाल से नहीं चल सकता। इससे स्पष्ट है कि इस दशा में उक्त सूत्र (K. E. = [latex]\frac { 1 }{ 2 }[/latex]mν2) सही नहीं हो सकता। इस दशा में इलेक्ट्रॉन की सही चाल ज्ञात करने के लिए सापेक्षता के विशिष्ट सिद्धान्त का उपयोग करना होगा। इस सिद्धान्त के अनुसार यदि कोई द्रव्य कण प्रकाश के वेग के तुलनीय वेग से गति करता है तो उसका गतिज द्रव्यमान निम्नलिख़ित होगा प्रश्न 21: इलेक्ट्रॉन की चाल = 2.65 x 109 m/s ∵ इलेक्ट्रॉन की चाल निर्वात् में प्रकाश की चाल से अधिक है। अतः पथ की त्रिज्या का परिकलन करने के लिए सामान्य सूत्र का प्रयोग नहीं किया जा सकता अपितु आपेक्षिकीय यांत्रिकी का प्रयोग करना होगा। उक्त सूत्र से पथ की त्रिज्या की गणना की जा सकती है। प्रश्न 22: प्रश्न 23: (b) माना लक्ष्य से टकराने वाले इलेक्ट्रॉनों को उक्त ऊर्जा प्रदान करने के लिए त्वरक विभव V की आवश्यकता होती है। तब इलेक्ट्रॉन की ऊर्जा E = eV प्रश्न 24: प्रश्न 25: हम देख सकते हैं कि 10 kW सामर्थ्य के प्रेषी द्वारा प्रति सेकण्ड उत्सर्जित फोटॉनों की संख्या इतनी अधिक है। अत: फोटॉनों की अलग-अलग ऊर्जा की उपेक्षा करके रेडियो तरंगों की कुल ऊर्जा को सतत माना जा सकता है। (b) श्वेत प्रकाश की औसत आवृत्ति v = 6 x 104 Hz ∴ श्वेत प्रकाश की फोटॉन की ऊर्जा E = hav = 6.62 x 10-34 x 6 x 1014 = 3.97 x 10-19 J आँख द्वारा संसूचित न्यूनतम तीव्रता = 10-10 Wm-2 इस स्थिति में आँख में प्रवेश करने वाले प्रकाश की न्यूनतम शक्ति P = 10-10 Wm-2 x (0.4 x 10-4 m2) = 4 x 10415 W ∴ आँख में प्रति सेकण्ड प्रवेश करने वाले फोटॉनों की संख्या यद्यपि यह संख्या रेडियो प्रेषी द्वारा प्रति सेकण्ड उत्सर्जित फोटॉनों की संख्या से अत्यन्त कम है। परन्तु आँख के सूक्ष्म क्षेत्रफल की दृष्टि से इतनी अधिक (UPBoardSolutions.com) है कि हम आँख पर गिरने वाले फोटॉनों के अलग-अलग प्रभाव को संसूचित नहीं कर पाते अपितु प्रकाश के सतत प्रभाव का अनुभव करते हैं। प्रश्न 26: प्रश्न 27: प्रश्न 28: प्रश्न 29: ∵ Mo तथा Ni के लिए कार्य-फलंन, उक्त विकिरण के एक फोटॉन की ऊर्जा से अधिक है; अतः उक्त दोनों धातु प्रकाश-विद्युत उत्सर्जन नहीं देंगे। यदि लेसर (UPBoardSolutions.com) को 1m के स्थान पर 50 cm दूरी पर रख दें तो भी उक्त परिणाम में कोई अन्तर नहीं आएगा, क्योंकि लेसर को समीप रखने पर धातु पर गिरने वाले प्रकाश की तीव्रता तो बढ़ जाएगी,परन्तु एक फोटॉन से सम्बद्ध ऊर्जा में कोई परिवर्तन नहीं होगा। प्रश्न 30: ∴ 5 परतों में परमाणुओं की संख्या n= 5 x 2x 1016 = 1017 ∵ सोडियम के एक परमाणु में एक चालन इलेक्ट्रॉन होता है; अतः इन n परमाणुओं में n चालन इलेक्ट्रॉन होंगे। सेल पर प्रति सेकण्ड आपतित प्रकाशिक ऊर्जा = I x A = 10-5 x 2 x 10-4 = 2x 109W ∵ कुल ऊर्जा.सोडियम की पाँच (UPBoardSolutions.com) परतों द्वारा अवशोषित होती है; अतः तरंग सिद्धान्त के अनुसार यह ऊर्जा पाँच परतों के n. इलेक्ट्रॉनों में समान रूप से बँट जाती है। ∴ एक इलेक्ट्रॉन को प्रति सेकण्ड प्राप्त होने वाली ऊर्जा अर्थात् 1 इलेक्ट्रॉन को उत्सर्जित कराने के लिए आवश्यक ऊर्जा = 3.2 x 10-19 J ∴ किसी इलेक्ट्रॉन को उत्सर्जित होने में लगा समय है = पर्याप्त ऊर्जा प्राप्त करने में लगा समय उत्तर का निहितार्थ: इस उत्तर से स्पष्ट है कि प्रकाश के तरंग सिद्धान्त के अनुसार प्रकाश विद्युत-उत्सर्जन की घटना में एक इलेक्ट्रॉन को उत्सर्जित होने में लगने वाला (UPBoardSolutions.com) समय बहुत अधिक है जो कि इलेक्ट्रॉन उत्सर्जन में लगे प्रेक्षित समय (लगभग 10-9s) से मेल नहीं खाता। इससे स्पष्ट है कि प्रकाश का तरंग सिद्धान्त प्रकाश विद्युत उत्सर्जन की व्याख्या नहीं कर सकता। प्रश्न 31: प्रश्न 32: (b) दिया है, कमरे का तापमान T = 27 + 273 = 300K स्पष्ट है कि 27°C के न्यूट्रॉन की डी-ब्रॉग्ली तरंगदैर्घ्य, क्रिस्टलों में अन्तरापरमाण्विक दूरी के साथ तुलनीय है। अतः यह न्यूट्रॉन क्रिस्टल विवर्तन प्रयोग के लिए उपयुक्त है। इससे स्पष्ट है कि न्यूट्रॉनों को क्रिस्टल विवर्तन प्रयोगों में उपयोग में लाने के लिए उन्हें वातावरण के साथ तापीकृत करना चाहिए। प्रश्न 33: प्रश्न 34: प्रश्न 35: प्रश्न
36: प्रश्न 37: यह मिलिकन तेल-बूंद प्रयोग में क्यों नहीं प्रकट होते? (b) संयोग की क्या विशिष्टता है? हम e तथाm के विषय में अलग-अलग विचार क्यों नहीं करते? (c) गैसें सामान्य दाब पर कुचालक होती हैं, परन्तु बहुत कम दाब पर चालन प्रारम्भ कर देती हैं। क्यों? (d) प्रत्येक धातु का एक निश्चित कार्य-फलन होता है। यदि आपतित विकिरण एकवर्णी हो तो सभी प्रकाशिक इलेक्ट्रॉन समान ऊर्जा के साथ बाहर क्यों नहीं आते हैं? प्रकाशिक इलेक्ट्रॉनों का एक ऊर्जा वितरण क्यों होता है? (e) एक इलेक्ट्रॉन की ऊर्जा तथा इसका संवेग इससे जुड़े पदार्थ-तरंग की आवृत्ति तथा इसके तरंगदैर्घ्य के साथ निम्न प्रकार सम्बन्धित होते हैं परन्तु λ का मान जहाँ भौतिक महत्त्व का है, के मान (और इसलिए कला चाल 22 को मान) का कोई भौतिक महत्त्व नहीं है। क्यों? उत्तर: (a) भिन्नात्मक आवेश वाले क्वार्क न्यूट्रॉन तथा प्रोटॉन के भीतर इस प्रकार सीमित रहते हैं कि प्रोटॉन में उपस्थित क्वार्को के आवेशों का योग +e तथा न्यूट्रॉन में उपस्थित क्वार्को के आवेशों का योग । शून्य बना रहता है तथा ये क्वार्क पारस्परिक आकर्षण बलों द्वारा बँधे रहते हैं। जब इन्हें (UPBoardSolutions.com) अलग करने का प्रयास किया जाता है तो बल और अधिक शक्तिशाली हो जाते हैं और इसी कारण वे एक साथ बने रहते हैं। इसीलिए प्रकृति में भिन्नात्मक आवेश मुक्त अवस्था में नहीं पाए जाते अपितु वे सदैव इलेक्ट्रॉनिक आवेश के पूर्ण गुणज के रूप में ही पाए जाते हैं। (b) इलेक्ट्रॉन की गति समीकरणों eV= [latex]\frac { 1 }{ 2 }[/latex] mν, eE = ma तथा eνB = mν2/r द्वारा निर्धारित होती है। इनमें से प्रत्येक में e तथा m दोनों एक साथ आए हैं। इससे स्पष्ट है कि इलेक्ट्रॉन की गति के लिए e अथवा m पर अकेले-अकेले विचार करने के स्थान पर [latex]\frac { e }{ m }[/latex] पर विचार किया जाता है। (c) सामान्य दाब पर गैसों में
विसर्जन के कारण उत्पन्न आयन कुछ ही दूरी तय करने तक गैस के (d) कार्य फलन से, धातु में उच्चतम ऊर्जा स्तर अथवा चालन बैण्ड में उपस्थित इलेक्ट्रॉनों के उत्सर्जन के लिए आवश्यक न्यूनतम ऊर्जा का ज्ञान होता है। परन्तु प्रकाश विद्युत उत्सर्जन में । इलेक्ट्रॉन अलग-अलग ऊर्जा स्तरों से निकल कर आते हैं। अतः उत्सर्जन के बाद उनके पास , भिन्न-भिन्न ऊर्जाएँ होती हैं। (e) किसी द्रव्य कण की ऊर्जा का निरपेक्ष मान (न कि संवेग) एक निरपेक्ष स्थिरांक के अधीन स्वेच्छ होता है। यही कारण है कि द्रव्य तरंगों से सम्बद्ध तरंगदैर्घ्य λ का ही भौतिक महत्त्व होता है न कि आवृत्ति ν का। इसी कारण कला वेग νλका भी कोई भौतिक महत्त्व नहीं होता। परीक्षोपयोगी प्रश्नोत्तर बहुविकल्पीय प्रश्न प्रश्न 1: उत्तर: (iii) λ = λ0 प्रश्न 2: प्रश्न 3: उत्तर: (i) [latex]\frac { h }{ e }[/latex] प्रश्न 4: प्रश्न 5: प्रश्न 6: प्रश्न 7: प्रश्न 8: उत्तर: प्रश्न 9: जहाँ, h प्लांक नियतांक, ν फोटॉन की आवृत्ति तथा c उसकी चाल है उत्तर: ‘ प्रश्न 10: अतिलघु उत्तरीय प्रश्न प्रश्न 1: प्रश्न 2: प्रश्न 3: प्रश्न 4: प्रश्न 5: प्रश्न 6: प्रश्न 7: प्रश्न 8: प्रश्न 9: प्रश्न 10: प्रश्न 11: प्रश्न 12: प्रश्न 13: प्रश्न 14: प्रश्न
15: प्रश्न 16: प्रश्न 17: प्रश्न 18: प्रश्न
19: जहाँ λ = तरंगदैर्घ्य, m = कण का द्रव्यमान तथा K = गतिज ऊर्जा प्रश्न 20: लघु उत्तरीय प्रश्न प्रश्न 1:
प्रश्न 2: प्रश्न 3: (i) जब किसी धातु-पृष्ठ पर आपतित निश्चित आवृत्ति के प्रकाश की तीव्रता बढ़ायी जाती है तो सतह पर प्रति सेकण्ड आपतित फोटॉनों की संख्या उसी अनुपात में बढ़ जाती है परन्तु प्रत्येक फोटॉन की ऊर्जा hν नियत रहेगी। आपतित फोटॉन की संख्या बढ़ने से उत्सर्जित (UPBoardSolutions.com) प्रकाश-इलेक्ट्रॉनों की संख्या बढ़ जाएगी, परन्तु समी० (1) से स्पष्ट है कि आवृत्ति के निश्चित होने तथा धातु विशेष के लिए ν0 निश्चित होने से पृष्ठ से उत्सर्जित सभी प्रकाश-इलेक्ट्रॉनों की अधिकतम गतिज ऊर्जा Ek एकसमान । होगी। अत: प्रकाश इलेक्ट्रॉनों के उत्सर्जन की दर तो आपतित प्रकाश की तीव्रता पर निर्भर करती है। परन्तु इनकी अधिकतम गतिज ऊर्जा नहीं। ये ही क्रमश: प्रकाश-वैद्युत प्रभाव के पहले तथा दूसरे नियम के कथन हैं। (ii) समीकरण (1) से यह भी स्पष्ट है कि आपतित प्रकाश की आवृत्ति ν बढ़ाने पर उत्सर्जित प्रकाश-इलेक्ट्रॉनों की अधिकतम गतिज ऊर्जा Ek उसी अनुपात में बढ़ जाएगी। यही प्रकाश-वैद्युत प्रभाव के तीसरे नियम का कथन है। (iii) समीकरण (1) में यदि ν < ν0 तो Ek का मान ऋणात्मक होगा, जो असम्भवं है। अतः इससे निष्कर्ष निकलता है कि यदि आपतित प्रकाश की आवृत्ति ν0 से कम है तो प्रकाश-इलेक्ट्रॉनों का उत्सर्जन सम्भव नहीं है, चाहे प्रकाश की तीव्रता कितनी भी अधिक क्यों न हो। यही प्रकाश-वैद्युत प्रभाव का चौथा नियम है। (iv) जब प्रकाश किसी धातु-पृष्ठ पर गिरता है तो जैसे ही कोई एक प्रकाश फोटॉन धातु पर आपतित होता है, धातु का कोई एक इलेक्ट्रॉन तुरन्त उसे ज्यों-का-त्यों (UPBoardSolutions.com) अवशोषित कर लेता है तथा धातु-पृष्ठ से उत्सर्जित हो जाता हैं। इस प्रकार धातु-पृष्ठ पर प्रकाश के आपतित होने तथा इससे प्रकाश-इलेक्ट्रॉन के उत्सर्जित होने में कोई पश्चता नहीं होती। यही प्रकाश-वैद्युत प्रभाव का पाँचवाँ नियम है। प्रश्न 4: प्रश्न
5: प्रश्न 6: प्रश्न 7: परन्तु यहाँ सोडियम का कार्य फलन W = 2.0 eV चूंकि E < w इसलिए 7000[latex]\mathring { A }[/latex] तरंगदैर्घ्य का प्रकाश सोडियम के पृष्ठ से इलेक्ट्रॉन उत्सर्जित नहीं कर सकेगा। प्रश्न 8: प्रश्न 9: प्रश्न 10: प्रश्न 11: प्रश्न 12: 300 वाट के प्रकाश स्रोत से प्रति सेकण्ड उत्सर्जित ऊर्जा 300 जूल/सेकण्ड है। अत: प्रकाश स्रोत से प्रति सेकण्ड निकलने वाले फोटॉन की संख्या प्रश्न 13: प्रश्न 14: दीर्घ उत्तरीय प्रश्न प्रश्न 1: आइन्सटीन की प्रकाश-वैद्युत समीकरण (Einstien’s Photoelectric Equation): We hope the UP Board Solutions for Class 12 Physics Chapter 11 Dual Nature of Radiation and Matter (विकिरण तथा द्रव्य की द्वैत प्रकृति) help you. If you have any query regarding UP Board Solutions for Class 12 Physics Chapter 11 Dual Nature of Radiation and Matter (विकिरण तथा द्रव्य की द्वैत प्रकृति), drop a comment below and we will get back to you at the earliest. देहली ऊर्जा क्या है इसका SI मात्रक?यहाँ h = प्लांक नियतांक है तथा v0 = देहली आवृत्ति है। यहाँ c = प्रकाश का वेग है जिसका मान 3 x 10 8 m/s होता है। देहली आवृत्ति (threshold frequency) : किसी धातु पर आपतित प्रकाश या विकिरण की न्यूनतम वह आवृत्ति जो जब धातु के किसी इलेक्ट्रान पर गिरता है तो वह इलेक्ट्रान धातु की सतह से मुक्त हो जाता है।
देहली ऊर्जा का सूत्र क्या है?Solution : कार्य-फलन `W =(hc)/(lambda_(0))`, जहाँ `lambda_(0)` देहली तरंगदैर्घ्य है।
देहली ऊर्जा क्या होती है?देहली उर्जा या कार्य फलन (threshold energy or fundamental energy) : किसी इलेक्ट्रॉन को किसी धातु की सतह से मुक्त करने के लिए जितनी न्यूनतम ऊर्जा की आवश्यकता होती है , उस न्यूनतम ऊर्जा के मान को देहली उर्जा अथवा कार्यफलन कहते है।
देहली आवृत्ति क्या है ?`?प्रत्येक बन्डल फोटॉन कहलाता है । उनकी अवधारणा के अनुसार प्रकाश-विद्युत प्रभाव फोटॉन तथा पृष्ठ परिबद्ध इलेक्ट्रॉन के बीच टकराव के कारण होता है । आपतित प्रकाश की आवृत्ति तथा = प्लांक नियतांक है। अब यह कल्पना कीजिए 6 जहाँ कि एक ऊर्जा का फोटॉन किसी धातु की सतह पर आपतित होता है।
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